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वस्तुओं को कोरोना वायरस से बचाता है भस्मश्री

मल्टी डायरेक्शनल यूवीसी आब्जेक्ट डिस्इंफेक्टर (भस्मश्री) का उपकरण गढ़वाल केंद्रीय विवि के वरिष्ठ भौतिक विज्ञानी डा. आलोक सागर गौतम को अपने शोध प्रोजेक्ट के तहत बनाने में सफलता मिली है जो गढ़वाल विश्वविद्यालय के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 27 Jul 2021 10:59 PM (IST)Updated: Tue, 27 Jul 2021 10:59 PM (IST)
वस्तुओं को कोरोना वायरस से बचाता है भस्मश्री
वस्तुओं को कोरोना वायरस से बचाता है भस्मश्री

जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल: मल्टी डायरेक्शनल यूवीसी आब्जेक्ट डिस्इंफेक्टर (भस्मश्री) का उपकरण गढ़वाल केंद्रीय विवि के वरिष्ठ भौतिक विज्ञानी डा. आलोक सागर गौतम को अपने शोध प्रोजेक्ट के तहत बनाने में सफलता मिली है, जो गढ़वाल विश्वविद्यालय के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।

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कोविड महामारी के इस दौर में उन्नत वैज्ञानिक तकनीक पर आधारित बनाया गया यह उपकरण वस्तुओं को कोरोना वायरस से बचाने को उपयोगी भी है। वायरस के साथ ही यह उपकरण फंगस और वैक्टीरिया को भी नष्ट करने में सक्षम है। इस शोध प्रोजेक्ट में शोध छात्र संजीव कुमार उपकरण के इस उन्नत संस्करण को बनाने में डा. गौतम के सहयोगी हैं। इस यंत्र को लेकर शोध और निर्माण का खर्चा स्वयं डा. गौतम ने वहन किया है। आम जनता की सुविधा को लेकर डा. आलोक सागर गौतम ने इस उपकरण में हार्ड डिसइंफेक्शन और सॉफ्ट डिसइंफेक्शन दो विकल्प भी दिए हैं। कठोर प्रकृति की वस्तुओं को हार्ड डिसइंफेक्शन विकल्प के माध्यम से और अन्य को सॉफ्ट डिसइंफेक्शन के माध्यम से डिसइंफेक्ट किया जा सकता है। इस उपकरण के माध्यम से मोबाइल फोन, चाबी, दूध का पैकेट, सब्जी, विभिन्न दस्तावेजों आदि सामानों को आसानी से डिसइंफेक्ट भी किया सकता है। बीते फरवरी महीने में इग्नू दिल्ली में इस वैज्ञानिक उपकरण का प्रदर्शन करने पर उसे कोविडकाल में विशेष रूप से बेहद उपयोगी मानते हुए डा. आलोक सागर गौतम को अवार्ड भी दिया गया। गढ़वाल केंद्रीय विवि के इंस्टीट्यूट आफ इनोवेशन सेल ने भी भस्मश्री इनोवेशन को लेकर डा. गौतम को अवार्ड दिया गया।

इस उपकरण यूवीसी विकिरण के माध्यम से सामान में मौजूद वायरस के आरएनए प्रोटीन को नष्ट कर दिया जाता है जो संक्रमण फैलने से रोकता है। यूवीसी विकिरण को इस उपकरण में इलेक्ट्रानिक परिपथ की सहायता से नियंत्रित भी किया जाता है जो इस उपकरण को विशिष्ट वैज्ञानिक उपकरण की श्रेणी में लाता है। डा. आलोक सागर गौतम बताते हैं कि वर्ष 2020 में कोविड 19 के दौरान लागू लाकडाउन अवधि में शोध प्रोजेक्ट में कार्य करते हुए इस उपकरण को बनाया गया। उस दौर में संसाधन भी सीमित ही उपलब्ध थे। डा. आलोक सागर गौतम के आस्ट्रेलिया के पेटेंट विभाग के आयुक्त को आवेदन करने के कुछ ही दिन बाद बीते सात जुलाई को इस इनोवेशन को पेटेंट सर्टिफिकेट आस्ट्रेलिया सरकार ने दे दिया था। भारत के राष्ट्रीय अनुसंधान और विकास परिषद से अभी तक भौतिक विज्ञानी को पेटेंट का सर्टिफिकेट नहीं मिला है। जबकि वहां आवेदन काफी पहले ही कर दिया गया था।

फोटो- 25 एस.आर.आई.-5


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