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बंजर जमीन पर औषधीय पादपों की खेती

संवाद सहयोगी पौड़ी कोरोना संक्रमण से बचने के लिए किया गया लॉकडाउन ग्रामीण युवाओं को स्

By JagranEdited By: Published: Mon, 29 Jun 2020 05:02 PM (IST)Updated: Mon, 29 Jun 2020 05:02 PM (IST)
बंजर जमीन पर औषधीय पादपों की खेती
बंजर जमीन पर औषधीय पादपों की खेती

संवाद सहयोगी, पौड़ी: कोरोना संक्रमण से बचने के लिए किया गया लॉकडाउन ग्रामीण युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने में सहायक सिद्ध हो रहा है। गांव लौटे कई प्रवासी सब्जी उत्पादन सहित विभिन्न रोजगार के साधनों की ओर मुड़े हैं। ऐसे ही जनपद के दूरस्थ राठ क्षेत्र के भैंसवाड़ा कंडारस्यू गांव के एक युवा ने प्रवासियों के साथ मिल कर औषधीय पादपों की खेती के लिए वर्षो से बंजर पड़े खेतों को आबाद किया है।

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थलीसैंण विकासखंड के दूरस्थ गांव भेस्वाड़ा कंडारस्यूं के ग्रामीण युवाओं ने औषधीय पादपों की खेती शुरू की है। युवाओं ने इसके लिए एक स्वयं सहायता समूह हिमराठ का गठन किया है। समूह के अध्यक्ष विनोद रावत ने बताया कि समूह का गठन वर्ष 2019 में किया गया था। तब गांव में अधिकांश युवा रोजगार के लिए बाहर शहरों में रह रहे थे, जिससे कि समूह कुछ खास कार्य नहीं कर पा रहा था। लेकिन इस वर्ष लॉकडाउन के दौरान गांव में करीब 46 युवा वापस लौटे हैं। विनोद ने बताया कि उन्होंने प्रवासी युवाओं के साथ मिलकर गांव के बंजर पड़े खेतों में औषधीय पादपों की खेती शुरू की है। अभी शुरुआती दौर में करीब 5 हेक्टेयर भूमि पर औषधीय पादपों की खेती की जा रही है। अगले वर्ष नंवबर तक औषधीय पादपों की फसल तैयार हो जाएगी, जिसे फार्मा कंपनियों को बेचा जाएगा। इसके लिए कुछ फार्मा कंपनियों के साथ अनुबंध भी हुआ है।

नौकरी छोड़ स्वरोजगार के लिए गांव लौटा था विनोद

विनोद बताते हैं कि उन्होंने देहरादून के सेलाकुई क्षेत्र में दवा की फैक्ट्री में 10 वर्षो तक कार्य किया। वर्ष 2016 में वह स्वरोजगार के लिए वापस गांव आए। शुरुआती दौर में उन्होंने पारंपरिक खेती की। लेकिन वह शुरू से ही औषधीय पादपों की खेती करना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने गढ़वाल विवि के उच्च शिखरीय पादप कार्यिकी शोध संस्थान से प्रशिक्षण लिया। और अब वह प्रवासी युवकों के साथ औषधीय पादपों की खेती कर रहे हैं। औषधीय पादपों की खेती में गांव की करीब 20 महिलाएं भी सहयोग कर रही हैं। बैंक से लिया कर्ज

विनोद ने बताया कि औषधीय पादपों की खेती के लिए उन्होंने बैंक से तीन लाख का ऋण लिया है। जिससे उन्होंने खेतों को आबाद करने के साथ ही चमोली के काश्तकारों से औषधीय पादपों की पौध खरीदी। इन औषधीय पादपों की कर रहे खेती

कुटकी, कूठ, अतीश, चोरू, जटामासी का उत्पादन कर रहे हैं।


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