'हार के बाद तो और अधिक भीड़ होने लगी'
जागरण संवाददाता, कोटद्वार 'जब से मैं हारा हूं, मेरी सभाओं में भीड़ अधिक होने लगी है। शायद लोग देखन
जागरण संवाददाता, कोटद्वार
'जब से मैं हारा हूं, मेरी सभाओं में भीड़ अधिक होने लगी है। शायद लोग देखने आ रहे हैं कि हारने के बाद मैं कैसा नजर आता हूं।' वर्ष 1996 में 13 दिन की सरकार गिरने के कुछ माह बाद कोटद्वार पहुंचे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने झंडा चौक पर आयोजित जनसभा में यह बात कही। जनसंघ का दौर रहा हो अथवा भाजपा, अटल बिहारी वाजपेयी कोटद्वार से जुड़े रहे। करीब साठ साल तक सक्रिय राजनीति से जुड़े रहे अटल तीन मर्तबा कोटद्वार आए, जिसमें दो बार उन्होंने कोटद्वार में जनसभाओं को संबोधित किया। इन तीनों मौकों पर अटल जी को भोजन कराने का मौका जनसंघ के दौर से अटल जी के साथ जुड़े रहे स्व. रामेश्वर प्रसाद त्रिपाठी के परिवार को ही मिला।
अटल जी का कोटद्वार में प्रथम आगमन वर्ष 1968 में तब हुआ, जब वे भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष हुआ करते थे। उस दौरान जनसंघ ने लैंसडौन विस से उमराव ¨सह को चुनावी मैदान में उतारा था और उन्हीं के चुनाव प्रचार को अटल जी कोटद्वार पहुंचे थे। जनसंघ के नेता रामेश्वर प्रसाद त्रिपाठी के आवास में भोजन के उपरांत अटल जी ने मालवीय उद्यान में जनसभा को संबोधित किया। चुनाव में उमराव ¨सह को हार का सामना करना पड़ा, लेकिन अटल जी की छवि क्षेत्रीय जनता के दिलो-दिमाग में बस गई।
वर्ष 1984 में अटल जी का पुन: कोटद्वार आगमन हुआ। इस वक्त वे भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते गढ़वाल क्षेत्र में पार्टी को मजबूती प्रदान करने के लिए चार दिन के गढ़वाल प्रवास पर निकले थे। इस प्रवास कार्यक्रम के अंतिम दिन वे पुन: रामेश्वर प्रसाद त्रिपाठी के आवास में पहुंचे व रात्रि भोज के उपरांत रेल से दिल्ली के लिए रवाना हो गए। 1996 में 13 दिन तक प्रधानमंत्री पद को सुशोभित करने के बाद पद से इस्तीफा देकर पार्टी को मजबूत बनाने के लिए देश भ्रमण पर निकले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी कोटद्वार भी पहुंचे व झंडाचौक में जनसभा को संबोधित किया। कांग्रेस की नीतियों पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि देश में जहां एक ओर आर्य भट्ट अंतरिक्ष में चक्कर काट रहा है, वहीं उत्तर प्रदेश के पर्वतीय अंचल में अनिल भट्ट आज भी रोजगार कार्यालय के चक्कर काटने को मजबूर है। इस दौरान तत्कालीन कोषाध्यक्ष उमेश त्रिपाठी ने उन्हें पार्टी की ओर से एकत्र किए गए धन की एक थैली भेंट की, जिसे अटल जी ने पौड़ी जनपद में पार्टी को मजबूत बनाने के लिए संगठन को ही सौंप दिया।
कोटद्वार में छाई शोक की लहर
अटल जी के निधन की सूचना मिलते ही क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ पड़ी, जहां एक ओर सोशल मीडिया में अटल जी को श्रद्धांजलि से संबंधित मैसेज चल रहे थे, वहीं क्षेत्र के चौराहों व नुक्कड़ों पर भी होने वाली चर्चाओं में अटल जी का जिक्र था।