पलायन रोककर दे रहे रोजगार के अवसर, एक छोटे से केंद्र की मदद से डेढ़ साल में 282 युवाओं को मिला स्वरोजगार
बात कोटद्वार स्थित आरबीआइ की करें तो बीते करीब डेढ़ साल में इस केंद्र ने गढ़वाल मंडल में 282 युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ा है। प्रदेश में पलायन की सबसे अधिक मार झेल रहे पौड़ी जिले में सबसे अधिक 110 युवा आरबीआइ के जरिये स्वरोजगार से जुड़े।
अजय खंतवाल, कोटद्वार। प्रदेश सरकार की ओर से जिन उद्देश्यों को लेकर ग्रामीण व्यापार ऊष्मायन केंद्र यानी रूरल बिजनेस इनक्यूबेटर (आरबीआइ) की स्थापना की गई थी, वह धरातल पर साकार होने लगे हैं। गढ़वाल के प्रवेश द्वार कोटद्वार में स्थापित इस केंद्र ने बीते करीब डेढ़ साल की अवधि में गढ़वाल मंडल में 282 युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ा है। इनमें सबसे अधिक 110 युवा पौड़ी जिले से हैं। केंद्र की उपयोगिता को देखते हुए अब सरकार प्रदेश के हर जिले में आरबीआइ की छोटी यूनिट स्थापित करने की तैयारी में है।
संजय बिष्ट, शकुंतला देवी, प्रमोद बंसल, अनिल नवानी, नीरज बलूनी आदि कई ऐसे नाम हैं, जिन्हें कोटद्वार में स्थापित रूरल बिजनेस इनक्यूबेटर से नई दिशा मिली। ये सभी लोग स्वरोजगार से तो जुड़े थे, लेकिन इस स्वरोजगार से कैसे अन्य व्यक्तियों को रोजगार दिया जाना है, यह तरीके इन्होंने आरबीआइ की मदद से ही सीखे।
दरअसल, पर्वतीय क्षेत्र में स्वरोजगार की संभावनाएं तलाशकर बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से 17 दिसंबर 2021 को कोटद्वार के सिम्मलचौड़ में रूरल बिजनेस इन्क्यूबेटर का लोकार्पण हुआ। इस केंद्र से गढ़वाल मंडल के सभी सात जिलों पौड़ी, चमोली, रुद्रप्रयाग, टिहरी, उत्तरकाशी, देहरादून व हरिद्वार को जोड़ा गया। सरकार की मंशा थी कि यदि घर में ही युवाओं को आय का जरिया मिल जाएगा तो वह रोजगार की तलाश में यहां-वहां नहीं भटकेगा। इससे पलायन पर भी अंकुश लगेगा। इसी तर्ज पर कुमाऊं मंडल के अल्मोड़ा शहर में भी आरबीआइ स्थापित किया गया।
बात कोटद्वार स्थित आरबीआइ की करें तो बीते करीब डेढ़ साल में इस केंद्र ने गढ़वाल मंडल में 282 युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ा है। प्रदेश में पलायन की सबसे अधिक मार झेल रहे पौड़ी जिले में सबसे अधिक 110 युवा आरबीआइ के जरिये स्वरोजगार से जुड़े। लेकिन, समय के साथ अब केंद्र को कार्मियों की कमी महसूस होने लगी है। केंद्र में महज सात कार्मिक तैनात हैं, जिन पर देहरादून, हरिद्वार, रुद्रप्रयाग, पौड़ी, उत्तरकाशी, चमोली व टिहरी जिलों में युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है।
उद्यमियों को दिशा दिखा रहा आरबीआइ
पौड़ी जिले के एकेश्वर ब्लाक स्थित ग्राम चमाली निवासी संजय बिष्ट कोटद्वार में कोचिंग इंस्टीट्यूट संचालित करते थे, जो कोरोना काल में बंद हो गया।
जून 2020 में संजय गांव लौटे और भीमल के पेड़ पर कार्य शुरू किया। अगले छह माह तक भीमल पर रिसर्च करने के बाद जनवरी 2021 में उन्होंने भीमल से शैंपू बनाने का कार्य शुरू कर दिया। अगले एक वर्ष तक संजय स्वयं बाजार तलाशने में जुटे रहे। जनवरी 2022 में वह आरबीआइ के संपर्क में आए, जहां उन्हें व्यापार बढ़ाने के गुर सिखाए गए। साथ ही आनलाइन शापिंग वेबसाइट पर उनका पंजीकरण भी कराया गया। आज संजय के तैयार किए उत्पाद उत्तराखंड, दिल्ली व अन्य राज्यों के साथ ही अमेजन पर भी बिक रहे हैं।
चमोली जिले के कालेश्वर (कर्णप्रयाग) निवासी अनिल नवानी वर्ष 2014 से फूड प्रोसेसिंग यूनिट संचालित कर रहे हैं। सुदूर क्षेत्र में होने के कारण अनिल को बजार नहीं मिल रहा था। साथ ही पैकेजिंग तकनीक भी बेहतर न थी। आरबीआइ के संपर्क में आने के बाद जहां अनिल ने बजार बढ़ाने के गुर सीखे, वहीं पैकेजिंग के तरीके भी उनकी समझ में आए।
टिहरी जिले के ग्राम उलाड़ा (कीर्तिनगर) निवासी नीरज बलूनी वर्ष 2020 से फूड प्रोसेसिंग व्यवसाय से जुड़े हैं। वर्ष 2022 में आरबीआइ के संपर्क में आए नीरज बताते हैं कि उन्हें केंद्र से जहां तकनीकी जानकारियां हासिल हुईं, वहीं बजार में व्यापार बढ़ाने के भी तरीके भी पता चले।
‘केंद्र में कार्मिकों की कमी के कारण गढ़वाल मंडल के सभी सात जिलों के युवाओं तक पहुंच पाना संभव नहीं हो पा रहा है। हालांकि, शासन अब जिलास्तर पर आरबीआइ की छोटी इकाइयां खोलने की तैयारी में है। निश्चित रूप से इससे दूर-दराज के क्षेत्र के युवा लाभान्वित होंगे।’
-तनुज पुंडीर, प्रभारी, रूरल बिजनेस इनक्यूबेटर, कोटद्वार