Move to Jagran APP

अंतर्कलह ले डूबी भाजपा की नैय्या

जागरण संवाददाता, कोटद्वार: कोटद्वार नगर निगम में जहां टिकट बंटवारे के बाद से उपजा अंतक

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Nov 2018 05:23 PM (IST)Updated: Wed, 21 Nov 2018 05:23 PM (IST)
अंतर्कलह ले डूबी भाजपा की नैय्या
अंतर्कलह ले डूबी भाजपा की नैय्या

जागरण संवाददाता, कोटद्वार: कोटद्वार नगर निगम में जहां टिकट बंटवारे के बाद से उपजा अंतर्कलह पार्टी के लिए नासूर साबित हुआ, वहीं सत्तारूढ़ होने का खामियाजा भी पार्टी को उठाना पड़ा। हालात यह रहे कि जहां महापौर सीट पर पार्टी प्रत्याशी नीतू रावत को तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा, वहीं खुद की जीत सुनिश्चित समझ पार्टी ¨सबल पर चुनाव लड़ रहे कई पार्षद प्रत्याशी धराशायी हो गए। अलबत्ता, नगर निगम के यह चुनाव कांग्रेस के लिए राहत देने वाले साबित हुए।

loksabha election banner

उम्मीदों के अनुरूप भारतीय जनता पार्टी को पार्टी की अंदरूनी कलह ही ले डूबी। महापौर का टिकट घोषित होने के बाद से शुरू हुई पार्टी की अंतर्कलह पूरे चुनाव में नजर आया और कई भाजपाई खुलकर निर्दलीय प्रत्याशियों के प्रचार में नजर आए, जबकि कई अंदरखाने निर्दलीयों के पक्ष में जुटे दिखे। दरअसल, कोटद्वार नगर निगम सीट पर महापौर के लिए पार्टी ने लैंसडौन विस के विधायक दलीप रावत की पत्नी नीतू रावत को मैदान में उतारा और नीतू रावत का नाम घोषित होते ही पार्टी के भीतर दबा ज्वालामुखी फूटकर सामने आ गया।

नतीजा, जहां गढ़वाल सांसद बीसी खंडूड़ी के करीबी भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष धीरेंद्र चौहान ने अपनी पत्नी विभा को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतार दिया, पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष शशि नैनवाल व पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष सुधा सती भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतर गई। बगावत को रोकने के लिए भाजपा हाईकमान ने भी प्रयास किए, लेकिन फायदा नहीं हुआ और चुनावी नतीजों के रूप में सभी के सामने हैं। चुनाव में जहां कांग्रेस प्रत्याशी हेमलता नेगी ने 25347 मतों से जीत हासिल की, भाजपा प्रत्याशी नीतू रावत 11386 मतों के साथ तीसरे नंबर पर नजर आए। भाजपा से बगावत कर चुनावी दंगल में उतरी विभा चौहान ने कांग्रेस को कड़ी टक्कर दी, लेकिन उन्हें 23779 मत मिल पाए।

सिर्फ बगावत ही नहीं, सत्ता विरोधी लहर भी भाजपा के लिए घातक साबित हुई। इसे सत्ता विरोधी लहर का ही प्रभाव कहा जाए कि भाजपा के ¨सबल पर टिकट लड़ रहे कई ऐसे प्रत्याशियों को मुंह की खानी पड़ी, जो स्वयं की जीत तय मानकर चल रहे थे। कुल मिलाकर यह कहना गलत न होगा कि नगर निगम का यह चुनाव जहां सत्तारूढ़ भाजपा के लिए सबक साबित हुआ, वहीं कांग्रेस के लिए राहत देने वाला रहा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.