सूखी सिंचाई नहरों में डूबी काश्तकारों की उम्मीदें
कोरोना संक्रमण को रोकने में जुटे सरकारी सिस्टम को काश्तकारों की मुश्किलें बढ़ी है।
संवाद सहयागी, कोटद्वार : कोरोना संक्रमण को रोकने में जुटे सरकारी सिस्टम को काश्तकारों की वह समस्या नजर नहीं आ रही, जिस पर काश्तकार ही नहीं, पूरे क्षेत्र का भविष्य टिका है। दरअसल, धान की रोपाई का समय आ गया है और सिंचाई विभाग ने आज तक खेतों में पानी पहुंचाने वाली नहरों की मरम्मत नहीं की है। नतीजा, धान की रोपाई के लिए काश्तकार आसमान पर नजरें टिकाए बैठे हैं।
कोटद्वार व भाबर क्षेत्र की अधिकांश जनता खेती पर निर्भर है। सिचाई के लिए सनेह क्षेत्र के काश्तकारों को पूर्वी खोह नदी व भाबर क्षेत्र के काश्तकारों को मालन नदी से पानी मुहैया करवाया जाता है। बड़ी संख्या में खेती करने वाले काश्तकार इन नदियों के पानी पर ही निर्भर है, लेकिन आपदा के बाद से काश्तकारों के खेतों तक सिचाई का पानी नहीं पहुंच पा रहा है और इसका मुख्य कारण है नहरों का क्षतिग्रस्त होना। भाबर निवासी काश्तकार मदन सिंह, मनोज कुमार का कहना है कि भाबर क्षेत्र में कई काश्तकारों के खेत बंजर में तब्दील हो गए हैं। ऐसे में काश्तकार खेत का काम छोड़ने को भी मजबूर हो रहे हैं। सनेह क्षेत्र के काश्तकार मोहन सिंह, संतोष नेगी ने बताया कि खोह नदी से आने वाली नहरों क्षतिग्रस्त पड़ी है। खेतों में पानी नहीं पहुंचने से अब काश्तकार बरसात पर निर्भर हैं। रोपाई में हो रही देर
सिचाई नहरों की खस्ता हालत का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। खेतों में पानी नहीं पहुंचने से धान की रोपाई में देर होने लगी है। ऐसे में काश्तकारों के समक्ष धान की पौध बचाने की चुनौती सामने आ गई है। कई स्थानों पर काश्तकार पाइप आदि का जुगाड़ कर सिचाई करने को मजबूर हो रहे हैं।
काश्तकारों ने सिचाई नहरों के क्षतिग्रस्त होने की शिकायत की है। सिचाई नहरों की जल्द मरम्मत करवाने व खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए सिचाई विभाग को निर्देश दिए गए हैं। योगेश मेहरा, उपजिलाधिकारी, कोटद्वार