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लाइट न साउंड, प्रेक्षागृह है या मजाक

जागरण संवाददाता, कोटद्वार: कोटद्वार में करीब पांच करोड़ की लागत से बने प्रेक्षागृह में निम

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Sep 2018 10:28 PM (IST)Updated: Mon, 17 Sep 2018 10:28 PM (IST)
लाइट न साउंड, प्रेक्षागृह है या मजाक
लाइट न साउंड, प्रेक्षागृह है या मजाक

जागरण संवाददाता, कोटद्वार: कोटद्वार में करीब पांच करोड़ की लागत से बने प्रेक्षागृह में निर्माण के दो वर्ष बाद भी न लाइट की व्यवस्था है और न ही साउंड की। लाइट के नाम पर आयोजकों को प्रेक्षागृह परिसर में लगे जनरेटर में डीजल भरवाना पड़ता है, जबकि साउंड की व्यवस्था भी स्वयं के स्तर से करनी पड़ती है।

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कोटद्वार क्षेत्र में संस्कृति प्रेमियों की मांग पर वर्ष 2005 में शासन ने कोटद्वार में 400 सीट की क्षमता वाले प्रेक्षागृह के लिए एक करोड़ 37 लाख की धनराशि स्वीकृत करते हुए इसके लिए प्रथम किश्त के रूप में ग्राम्य विकास विभाग को 50 लाख की धनराशि अवमुक्त की थी। 2007 में सत्ता परिर्वतन के साथ ही प्रेक्षागृह निर्माण कार्य पर ब्रेक लग गये व अगले पांच वर्षों तक निर्माण कार्य पूरी तरह बंद रहा। कांग्रेस पुन: सत्तासीन हुई तो प्रेक्षागृह की सुध ली गई और एक अक्टूबर 2014 को प्रेक्षागृह का लोकार्पण हो गया। हालांकि, एक दशक पूर्व जहां प्रेक्षागृह की लागत करीब डेढ़ करोड़ थी, दस वर्षों में वह लागत करीब साढ़े तीन करोड़ तक पहुंच गई। कार्यदायी संस्था ने प्रेक्षागृह संस्कृति विभाग के सुपुर्द कर दिया व संस्कृति विभाग ने इस प्रेक्षागृह के संचालन का जिम्मा कोटद्वार नगर पालिका (वर्तमान में नगर निगम) को दे दिया। बीते दो वर्षों में नगर पालिका प्रशासन ने प्रेक्षागृह में कार्यक्रम तो सैकड़ों करवा दिए, लेकिन आज तक न तो लाइट कर व्यवस्था की और न ही साउंड की। यह है वर्तमान स्थिति

प्रेक्षागृह के संचालन का जिम्मा वर्तमान में नगर निगम प्रशासन कर रहा है। प्रेक्षागृह में कार्यक्रम आयोजित करने के लिए आयोजकों को नगर निगम में पांच हजार की धनराशि की रसीद कटवानी पड़ती है। इसके बाद कार्यक्रम के दौरान विद्युत व्यवस्था के लिए प्रेक्षागृह परिसर में लगे जनरेटर में तेल भरवाना पड़ता है। साथ ही साउंड व्यवस्था के लिए माइक सहित अन्य उपकरणों का जुगाड़ करना पड़ता है। स्पष्ट तौर पर कहें तो प्रेक्षागृह में कार्यक्रम के आयोजन में आयोजकों को आठ से दस हजार रूपए व्यय करने पड़ते हैं। यहां महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि प्रेक्षागृह को अधिग्रहित करने से पूर्व न तो संस्कृति विभाग ने इस ओर ध्यान दिया और न ही नगर पालिका प्रशासन ने प्रेक्षागृह की लाइट खोलने की जरूरत महसूस की। 'कार्यदायी संस्था ग्राम्य विकास विभाग ने प्रेक्षागृह में विद्युत व्यवस्था करनी थी, जो कि आज तक नहीं की गई है। इस संबंध में शासन को भी अवगत कराया गया है। शासन के निर्देशों के आधार पर आगे की कार्यवाही की जाएगी।

..राजेश नैथानी, सहायक नगर आयुक्त, कोटद्वार नगर निगम'


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