लक्ष्य पर निशाना, अर्जुन बनने की चाह
अजय खंतवाल, कोटद्वार 'होनहार बिरवान के होत चिकने पात'। कोटद्वार के काशीरामपुर वार्ड निवासी 13-वर्
अजय खंतवाल, कोटद्वार
'होनहार बिरवान के होत चिकने पात'। कोटद्वार के काशीरामपुर वार्ड निवासी 13-वर्षीय मानसी डुकलान पर यह पंक्तियां पूरी तरह खरी उतरती हैं। छोटी सी उम्र में मानसी ने धनुष-बाण को हाथ में ले ऐसा लक्ष्य साधने का प्रण किया है, जिसके लिए उसे कठिन परिश्रम से होकर गुजरना पड़ेगा। मानसी ओलंपिक खेलों में तीरंदाजी में भारत का प्रतिनिधित्व करने का सपना संजोए हैं।
अंतरराष्ट्रीय तीरंदाजी (आर्चरी) प्रशिक्षक संदीप डुकलान की बेटी मानसी ने महज छह वर्ष की उम्र में धनुष-बाण हाथ में ले अपना लक्ष्य तय कर लिया। एक प्रशिक्षक के तौर पर संदीप को भी मानसी में बेहतर तीरंदाज बनने के गुण नजर आए, तो उन्होंने उसे प्रशिक्षित करना शुरू किया। दस वर्ष की आयु में 2017 में मानसी ने विजयवाड़ा (आंध्र प्रदेश) में आयोजित नौवीं मिनी जूनियर नेशनल आर्चरी चैंपियनशिप में प्रतिभाग किया। राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित इस प्रतियोगिता में मानसी ने 20-वीं रैंक हासिल की और अगली प्रतियोगिता के लिए दोगुनी मेहनत से तैयारी में जुट गई। 2018 में पुन: विजयवाड़ा में ही यह प्रतियोगिता आयोजित हुई, जिसमें मानसी दसवीं रैंक पर रही। कोरोना संक्रमण के चलते 2019 में प्रतियोगिता का आयोजन नहीं हुआ।
मानसी कहती हैं कि वह भविष्य में ओलंपिक खेलों में तीरंदाजी प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व करना चाहती हैं। वह बताती है कि तीरंदाजी के क्षेत्र में बालिकाओं के पास आगे बढ़ने के बहुत अवसर हैं, जरूरत एकाग्रचित हो अपने लक्ष्यों को हासिल करने की है। संदीप बताते हैं कि मानसी रिकर्व डिवीजन में तीरंदाजी करती हैं व ओलंपिक में भी इसी डिवीजन में प्रतियोगिता आयोजित होती है। उन्होंने बताया कि इन दिनों मानसी मार्च माह में देहरादून में आयोजित होने वाली जूनियर नेशनल आर्चरी चैंपियनशिप के लिए तैयारी में जुटी हुई है। बताया कि वे मानसी के सपने को पूरा करने के लिए हरसंभव प्रयास में जुटे हैं।