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मरीजों संग अस्पताल के लिए मुसीबत बनी एक्सरे मशीन

बेहतरी की उम्मीद में की गई मांग बेस अस्पताल के एक्सरे विभाग के लिए ही मुसीबत बन गई है।

By Edited By: Published: Wed, 15 Aug 2018 12:08 AM (IST)Updated: Thu, 16 Aug 2018 08:52 AM (IST)
मरीजों संग अस्पताल के लिए मुसीबत बनी एक्सरे मशीन
मरीजों संग अस्पताल के लिए मुसीबत बनी एक्सरे मशीन
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : बेहतरी की उम्मीद में की गई मांग बेस अस्पताल के एक्सरे विभाग के लिए आफत बन गई है। मशीन में बार-बार व्यवधान आने से स्टाफ तो परेशान था ही, साथ ही मरीजों को भी इसका पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा था। इसे देखते हुए अस्पताल प्रशासन निदेशालय से लंबे समय से नई डिजिटल मशीन उपलब्ध कराने की मांग कर रहा था। निदेशालय ने अरसे बाद अस्पताल की मांग तो पूरी की, लेकिन मशीन राहत देने की बजाय आफत बन गई। पुरानी मशीन से जहां एक मरीज का एक्सरे करने में चार से पांच मिनट का समय लगता था। नई मशीन से एक्सरे होने में आठ से दस मिनट का समय लग रहा है। कई बार एक्सरे का प्रिंट भी साफ नहीं आ रहा है। इस कारण मरीजों के साथ कर्मचारियों की परेशानी बढ़ गई है। बेस के विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि अस्पताल को मुहैया कराई गई मशीन बेस जैसे बड़े संस्थानों के लिए कारगर नहीं है। कम क्षमता की एक्सरे मशीन को सीएचसी, पीएचसी जैसे छोटे संस्थानों में प्रयोग में लाया जाता है। बेस में रोजाना औसतन 70 से 80 लोग एक्सरे कराने पहुंचते हैं। इसके लिए अस्पताल को डीआर (डिजिटल रेडियोग्राफी) मशीन की आवश्यकता थी, मगर निदेशालय ने सीआर (कंप्यूटर रेडियोग्राफी) मशीन लगातार इतिश्री कर ली। क्या है एक्सरे मशीन की दिक्कत - एक एक्सरे में आठ से दस मिनट का समय लगना। - एक्सरे के प्रिंट में कमी। - सीपीयू का बैकअप कम होना। एसटीएच में आए दिन खराब होती है एमआरआइ मशीन एसटीएच में भी सालों पुरानी एमआरआइ मशीन आए दिन खराब होती रहती है। ऐसे में मरीजों को काफी असुविधाओं का सामना करना पड़ता है।

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