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Kumaun University के म्यूजियम में दुर्लभ जीव-जंतुओं का संसार, सौ से अधिक प्रजातियों के सांप

कुमाऊं विवि के डीएसबी परिसर में जंतु विज्ञान विभाग की लैब अनोखे म्यूजियम के रूप में तैयार हो चुकी है। इस लैब में सौ से अधिक प्रजाति के सांप डेढ़ सौ से अधिक मछलियां समुद्री जीव पक्षी समेत कई दुर्लभ-जीव जंतु हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Mon, 26 Oct 2020 07:18 AM (IST)Updated: Mon, 26 Oct 2020 07:18 AM (IST)
Kumaun University के म्यूजियम में दुर्लभ जीव-जंतुओं का संसार, सौ से अधिक प्रजातियों के सांप
डीएसबी कैंपस में बने म्यूजियम में दुर्लभ जीव-जंतुओं का संसार, सौ से अधिक प्रजातियों के सांप

नैनीताल, जेएनएन : कुमाऊं विवि के डीएसबी परिसर में जंतु विज्ञान विभाग की लैब अनोखे म्यूजियम के रूप में तैयार हो चुकी है। इस लैब में सौ से अधिक प्रजाति के सांप, डेढ़ सौ से अधिक मछलियां, समुद्री जीव, पक्षी समेत कई दुर्लभ-जीव जंतु हैं। जिन्हें रसायनिक पदार्थ फॉर्मेलिन में संरक्षित किया गया है।

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सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रयोग के लिए जीव-जंतुओं के चीरफाड़ व मारने पर पाबंदी के बाद यूजीसी ने देशभर के कॉलेज व विश्वविद्यालयों को दिशा-निर्देश जारी किए। 2011 के बाद कॉलेजों की जीव विज्ञान प्रयोगशाला में जीव जंतुओं की आमद बंद हो गई। ऐसे में अब जीव विज्ञान के छात्रों के सामने लैब में प्रयोग के नए तरीके अपनाने पड़े।

कुमाऊं विवि के डीएसबी परिसर जीव विज्ञान विभाग की ऐतिहासिक लैब 50 के दशक में स्थापित की गई। तब यह कॉलेज आगरा विवि से सम्बद्ध था। इस विभाग के छात्रों ने लैब में प्रयोग कर देश के प्रतिष्ठित पदों तक पहुंचने में कामयाबी हासिल की।

पाबंदी के बाद लैब उपेक्षित हो गई तो विभाग के प्रोफेसर सतपाल सिंह बिष्ट ने इसे संवारने का बीड़ा उठाया। राष्ट्रीय उच्चतर माध्यमिक शिक्षा अभियान के प्रभारी बने तो इस प्रयोगशाला को संवारने के लिए प्रस्ताव तैयार किया। करीब तीन साल की मेहनत के बाद प्रयोगशाला म्यूजियम के रूप में तैयार है। सिर्फ उद्घाटन की औपचारिकता होनी है।

जीव जंतुओं का है खजाना

प्रो बिष्ट के अनुसार लैब में दशकों पहले लाए गए जीव जंतुओं को संरक्षित किया गया है। इसमें सौ से अधिक सांप मसलन करेत, नाग, वाइपर हैं। 35 से अधिक छिपकली की प्रजातियां, डेढ़ सौ से अधिक मछलियों की प्रजातियां हैं। इसमें महाशीर, स्नो ट्राउट भी है। इसके अलावा 50 पक्षी प्रजाति भी हैं। कंकाल में घड़ियाल, सुअर, टाइगर, घोड़ा, जंगली भैंस, बंदर, आरा मछली का अंडा, कछुए आदि हें। दावा है इतने अधिक दुर्लभ प्रजातियों के जीव जंतुओं का यह म्यूजियम उत्तराखंड में पहला है। प्रो बिष्ट के अनुसार म्यूजियम से विवि के साथ ही दूरदराज के छात्रों व दूसरे विश्विद्यालय के शोधकर्ताओं को भी लाभ होगा।


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