कुमाऊं की रामलीलाओं में महिलाएं निभा रही विविध चरित्र, अल्मोड़ा में जलता है रावण का कुल
Kumaon ki Ramlila कुमाऊं की रामलीला में नारी सशक्तीकरण की वास्तविक तस्वीर भी सामने आ रही है। पिथौरागढ़ में इस बार राम से लेकर रावण के पात्र का अभिनय मातृशक्ति करने वाली है। नैनीताल के भवाली में अनुसूचित जाति की तीन सगी बहनें राम लक्ष्मण व सीता का चरित्र निभाएंगी।
अर्जुन सिंह रावत, थल (पिथौरागढ़) : Kumaon ki Ramlila : इस दिनों पूरा देश रामलीला के भक्तिमय माहौल में डूबा है। उत्तराखंड में भी यह जोश चरम पर है तो कुमाऊं की रामलीला अलग ही महत्व रखती है। मैसूर और कुल्लू मनाली की तरह ही अल्मोड़ा में दशहरे पर रावण कुल के सदस्यों का पुतला दहन सबको आकर्षित करता है। इस बार रावण कुल के 22 पुतले बनाए गए हैं, जिनका दहन बुधवार को दशहरे पर होगा।
इस बार कुमाऊं की रामलीला में नारी सशक्तीकरण की वास्तविक तस्वीर भी सामने आ रही है। पिथौरागढ़ में इस बार राम से लेकर रावण के पात्र का अभिनय मातृशक्ति करने वाली है। वहीं नैनीताल के भवाली में अनुसूचित जाति की तीन सगी बहनें राम, लक्ष्मण व सीता का अभिनय कर न केवल वाहवाही बटोर रही हैं बल्कि सामाजिक समानता एवं समरसता का मिसाल पेश कर रही हैं।
कुमाऊं के सीमांत पिथौरागढ़ जिले में लोकपर्व व मेलों को तो बड़े उत्साह के साथ मनाया ही जाता है। इस बार जिले के थल तहसील की रामलीला में 92 साल बाद बड़ा बदलाव भी होने जा रहा है। 27 अक्टूबर से शुरू होने जा रही थल की रामलीला के प्रमुख पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, शबरी, वनवासिनी, अहिल्या आदि के रोल पहली बार बेटियां निभाएंगी। राजपूत एलिमेंट्री स्कूल में अध्ययनरत कक्षा नौ की छात्रा दीपा मेहता राम, कक्षा आठ की ज्योति मेहता सीता, कक्षा सात की गोदावरी दानू लक्ष्मण बनी हैं। कक्षा नौ की साक्षी चंद भरत तो कक्षा आठ की गंगोत्री मेहरा शत्रुघ्न की भूमिका निभाएंगी।
कमेटी के अध्यक्ष दिनेश चंद्र पाठक बताते हैं कि इस बार बालिकाओं को मुख्य पात्रों की भूमिका देने का निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया है। इन दिनों अभ्यास में भी बालिकाएं शानदार अभिनय एवं गायन कर रही हैं। कमेटी सचिव अर्जुन सिंह रावत ने कहते हैं कि यह बेटियों को प्रोत्साहित कर उन्हें हर क्षेत्र में आगे लाने का प्रयास है।
पिथौरागढ़ नगर में इस बार सात अक्टूबर से होने जा रही रामलीला खास होगी। इस बार रामलीला में राम-सीता से लेकर हनुमान और रावण सहित सभी मुख्य पात्र महिलाएं ही होगी। इस लीला को आकर्षक बनाने के लिए सभी महिला पात्र एक माह से जमकर अभ्यास कर रही हैं। इस बार जहां राम, लक्ष्मण, सीता से लेकर अन्य मुख्य पात्रों की भूमिका में बालिकाएं मंच पर होंगी तो हनुमान व रावण आदि का रोल महिलाएं निभाएंगी।
एक माह से चल रहे अभ्यास वर्ग में महिलाएं नियमित और अनुशासित ढंग से अभ्यास कर रही हैं। रामलीला के पात्रों का अभिनय निभाने के लिए चयनित महिलाएं पात्र के अनुसार अपने को ढाल रही हैं। दर्शक नीमा को रावण तो ममता पाठक को रामदूत हनुमान का रोल निभाते देखेंगे। वहीं सीता की भूमिका के लिए चुनी गई तृप्ति बेहद उत्साहित हैं।
रामलीला मंचन की आयोजक उमा पांडेय का कहना है कि महिला रामलीला का मंचन पिछले साल कुछ महिला पात्रों के अभिनय से शुरू हो गया था लेकिन इस बार सभी पात्रों की भूमिका महिलाएं ही निभाएंगी। यह मंचन महिला सशक्तीकरण की मिसाल बनेगा। अब तक कुमाऊं में रामलीला मंचन में केवल पुरुष ही पात्र होते थे लेकिन यह मिथक टूटने जा रहा है।
तीन बहनें निभा रही राम,लक्ष्मण, सीता की भूमिका
आदर्श रामलीला कमेटी भवाली (नैनीताल) की रामलीला में सभी पात्रों की भूमिका अब तक पुरुषों ने ही निभाई थी। इस बार रामलीला में तीन सगी बहनें राम, लक्ष्मण व सीता के पात्र का अभिनय कर वाहवाही बटोर रही हैं। नगर 1920 में रामलीला की शुरुआत हुई थी। रामलीला कमेटी के अध्यक्ष मोहन बिष्ट बताते हैं कि इस बार नारी शक्ति को आगे किया गया है।
खास बात यह है प्रमुख तीन पात्र सगी बहनें हैं। इनमें एमए की छात्रा रीता आर्य श्री राम का, बीएफए कर रही रिया आर्य लक्ष्मण का व दीपाली आर्य सीता का रोल निभा रही हैं। इनके पिता जीवन चंद्र आर्य रामलीला में तबला वादन कर रहे हैं। रामलीला देखने के लिए नगर समेत आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के सैकड़ों लोग पहुंच रहे हैं।
पिता जनक, बेटी बनी नंदिनी
हल्द्वानी के गौलापार स्थिति श्रीराम आदर्श रामलीला कमेटी देवला तल्ला की रामलीला में पिछले दो-तीन वर्षों से बेटियां मंच पा रही हैं। इस बार शुभांगी लगातार दूसरे वर्ष सीता बनी हैं। उनके भाई ध्रुव ने भरत का अभिनय किया है। खास बात यह है कि उनके पिता इंजीनियर गिरीश जोशी जनक का रोल निभा रहे हैं। गिरीश कहते हैं कि रामलीला अच्छाई की सीख देती है, संस्कारित करती है। वास्तविक जीवन के साथ-साथ बेटी शुभांगी यानी सीता के पिता की भूमिका मंच पर साकार करना शानदार अनुभव रहा।
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