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50 फीसद डाक्टरों के हवाले हल्द्वानी का महिला अस्पताल, हर माह होती है करीब 400 से अधिक प्रसव

महिला अस्पताल में डाक्टरों के 24 पद स्वीकृत हैं। इसके सापेक्ष केवल 12 डाक्टर ही कार्यरत हैं जबकि प्रतिमाह 400 से अधिक डिलीवरी हो रही हैं। स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल में बेड की संख्या 30 से बढ़ाकर 100 कर दी है लेकिन डाक्टरों की संख्या लगातार कम कर दी है।

By Prashant MishraEdited By: Published: Wed, 15 Dec 2021 11:05 AM (IST)Updated: Wed, 15 Dec 2021 11:05 AM (IST)
50 फीसद डाक्टरों के हवाले हल्द्वानी का महिला अस्पताल, हर माह होती है करीब 400 से अधिक प्रसव
अल्ट्रासाउंड करने के लिए रेडियोलाजिस्ट भी स्थायी नहीं हैं।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : महिला अस्पताल में मरीजों का दबाव बढ़ते जा रहा है। इसके बावजूद डाक्टरों व अन्य स्टाफ की संख्या कम हो गई है। इस समय स्वीकृत पदों के सापेक्ष 50 फीसद डाक्टर कम है। इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारियों को कोई फर्क पड़ता नहीं दिख रहा है। महिला अस्पताल में डाक्टरों के 24 पद स्वीकृत हैं। इसके सापेक्ष केवल 12 डाक्टर ही कार्यरत हैं, जबकि प्रतिमाह 400 से अधिक डिलीवरी हो रही हैं। स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल में बेड की संख्या 30 से बढ़ाकर 100 कर दी है, लेकिन डाक्टरों की संख्या लगातार कम कर दी है। कुछ डाक्टर संबद्ध किए गए थे। उन्हें अब मूल स्थल पर भेज दिया गया है। 

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अल्ट्रासाउंड के लिए भी स्थायी डाक्टर नहीं

अल्ट्रासाउंड करने के लिए रेडियोलाजिस्ट भी स्थायी नहीं हैं। एक रेडियोलाजिस्ट को कोटाबाग अस्पताल में भी जाना पड़ता है। इससे गर्भवती को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।  

स्टाफ नर्स भी पर्याप्त नहीं

स्टाफ नर्स भी पर्याप्त नहीं हैं। आपरेशन आदि कार्य में लगे करीब 14 नर्सों में छह हड़ताल पर हैं। इस वजह से काम प्रभावित होने लगा है। इसके चलते समस्या बढ़ गई है। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. ऊषा जंगपांगी ने बताया कि अस्पताल में निर्धारित बेड संख्या के आधार पर डाक्टरों के पद स्वीकृत हैं। इनकी नियुक्ति के लिए स्वास्थ्य महानिदेशक को लिखा गया है। अभी पैरामेडिकल स्टाफ व नर्सों के पद स्वीकृत नहीं हैं।

एनएचएम कर्मियों की हड़ताल बढ़ा रही मरीजों की मुसीबत

ग्रेड पे बढ़ाने, समान कार्य समान वेतन आदि मांगों को लेकर एनएचएम कर्मियों की हड़ताल जारी है। इससे अस्पतालों में समस्या बढऩे लगी है। एसटीएच के एनआइसीयू में जैसे-तैसे वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है, लेकिन महिला अस्पताल का एसएनसीयू बंद हो गया है। जबकि इस यूनिट में चार से पांच नवजात भर्ती रहते थे। इधर, कर्मचारियों ने बुद्ध पार्क में धरना दिया। सरकार से मांग पूरी करने के लिए नारेबाजी भी की। कर्मचारियों का कहना था कि सरकारी हमारी जायज मांगों पर जल्द निर्णय ले।


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