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राखी के धागे से बंधी आजीविका की डोर

गरीब महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कल्याणी महिला समिति की पहल का असर।

By JagranEdited By: Published: Tue, 21 Aug 2018 12:10 AM (IST)Updated: Tue, 21 Aug 2018 12:10 AM (IST)
राखी के धागे से बंधी आजीविका की डोर
राखी के धागे से बंधी आजीविका की डोर

गणेश जोशी, हल्द्वानी

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गरीब महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कल्याणी महिला समिति की अनूठी पहल रंग ला रही है। 10 वर्षो से संचालित संस्था ने गरीब महिलाओं से राखियां बनवाई हैं, जो उनकी आजीविका में मदद कर रहे हैं। इस पहल से प्रत्यक्ष रूप से जुड़ी 20 से अधिक गरीब परिवार की महिलाएं अपने परिवार का भरण-पोषण करने में सक्षम हुई हैं। राखी से लेकर अन्य उत्पाद भी कमाई का जरिया

समिति से जुड़ी महिलाएं पिछले कई वर्षो से राखियां बना रही हैं। इससे महिलाएं 1500 से 2000 रुपये तक कमा लेती हैं, लेकिन इसके अलावा सर्दियों के मौसम में पारंपरिक उत्पादों में तरह-तरह की बडि़यां बनाती हैं, जिससे प्रतिमाह तीन से पांच हजार रुपये कमा लेती हैं। तैयार की हैं 10 वैरायटी की ऑर्गेनिक राखियां

इन महिलाओं ने 10 वैराइटी की राखियां तैयार की हैं। इसमें स्माइली, कलावा, बीड्स, चंदन, पेपर क्विलिंग इको फ्रेंडली, मोती, कुंदन आदि तरह की राखियां हैं। ये राखियां ऑर्गेनिक रंग से रंगी गई हैं। इस बार इन महिलाओं ने पांच हजार से अधिक राखियां बनाई हैं। इनकी कीमत 15 से 20 रुपये तक की है। महिलाएं बोली, हमें मिला जीने का अधिकार

संस्था की जुड़ी महिला सविता मौर्य कहती हैं, हमें संस्था ने जीने का अधिकार दिया है। गरीब परिवार से हैं। परिवार का भरण-पोषण बेहद मुश्किल होता था, लेकिन जब से संस्था से जुड़ी, आत्मनिर्भर होने के साथ ही कई नई चीजें सीखने को मिली। अब वह मुंबई व दिल्ली में भी स्टॉल लगाने के लिए जाती हैं। हरिपुर नायक की नीमा रावत व ऊंचापुल की उमा पाठक कहती हैं, इस तरह के काम से हमें बड़ा आर्थिक सहारा मिला है। मनी मैनेजमेंट भी खुद करती हैं महिलाएं

संस्था की अध्यक्ष डॉ. तनुजा मेलकानी बताती हैं, महिलाएं खुद ही मनी मैनेजमेंट करती हैं। हम इनके प्रशिक्षण व कच्चा माल उपलब्ध करवाते हैं। इन महिलाओं की ओर से हस्तनिर्मित राखियों का स्टॉल भी लगाया जा रहा है। लोगों को भी इन महिलाओं का हौसला बढ़ाने के लिए राखियां खरीदनी चाहिए। संस्था की उपाध्यक्ष ऊषा कुमार हैं।


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