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हिमालय की चोटियों पर हिमपात शुरू, घाटियों का रुख करने लगे परिंदे

हिमालय की चोटियों पर हिमपात के साथ ही परिंदों का शीतकालीन प्रवास शुरू हो गया है। उत्तराखंड की चीन सीमा से लगे क्षेत्र में मिलने वाले दुनिया के दुलर्भ प्रजातियाें के पक्षियों का संसार अब अगले चार महीने तक निचली घाटियों के जंगलों में विचरण करेगा।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 11 Nov 2020 02:40 PM (IST)Updated: Wed, 11 Nov 2020 02:40 PM (IST)
हिमालय की चोटियों पर हिमपात शुरू, घाटियों का रुख करने लगे परिंदे
हिमालय की चोटियों पर हिमपात शुरू, घाटियों का रुख करने लगे परिंदे

पिथौरागढ़, जेएनएन : हिमालय की चोटियों पर हिमपात के साथ ही परिंदों का शीतकालीन प्रवास शुरू हो गया है। उत्तराखंड की चीन सीमा से लगे क्षेत्र में मिलने वाले दुनिया के दुलर्भ प्रजातियाें के पक्षियों का संसार अब अगले चार महीने तक निचली घाटियों के जंगलों में विचरण करेगा। दस हजार फिट से अधिक की ऊंचाई पर पाए जाने वाले ये पक्षी इन दिनों पांच हजार फिट तक की ऊंचाई वाले जंगलों में दिखने लगे हैं। बर्ड वाचिंग का शौक रखने वालों के लिए यह समय बेहद खास होता है।

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उच्च हिमालयी क्षेत्र में हिमपात शुरू हो चुका है। ठंड से बचने के लिए दस हजार फिट की ऊंचाई पर उडऩे वाले पक्षी अब पांच हजार फिट नीचे उतर आए हैं। अगले चार माह तक ये मानव आबादी के आस-पास के जंगलों में ही डेरा डाले रखेंगे। मार्च के बाद ये वापस अपने मूल स्थान की और लौटने लगेंगे। पक्षियों के इस अनूठे संसार को देखने के लिए बीते वर्ष तक दुनिया भर से पर्यटक मुनस्यारी और धारचूला क्षेत्र में पहुंचते रहे हैं, लेकिन इस वर्ष पर्यटकों के यहां आने को लेकर संशय बना हुआ है। उच्च हिमालय से आने वाले गौरेया प्रजाति के छोटे-छोटे पक्षी तो गांवों में घर-आंगन की मुंडेर पर तक नजर आते हैं।

ये हैं उच्च हिमालय के परिंदे

उच्च हिमालय के बेहद आकर्षक एवं दुलर्भ पक्षी अब मुनस्यारी तक की ऊंचाई पर नजर आएंगे। शीतकाल में इस ऊंचाई पर प्रवास करने वाले प्रमुख पक्षियों में स्नो कॉक, स्नो पाट्रीज, सैटर ट्रेगोपान, बुलफिंच, मोनाल, चेयर फीसेंट, रेड फ्रॉटेड, रासेफिंच, ग्रोस्बीक, रोस फिंच, गोल्डर बस रोबिन, अल्लाई एक्सेंटर, यूरोपियन गोल्ड फिंच हैं।

बर्फीला तीतर पक्षी ही करता है बर्फबारी में भी प्रवास

उच्च हिमालय में प्रवास करने वाली पक्षी प्रजातियों में अकेला बर्फीला तीतर ऐसा पक्षी है, जो भारी बर्फबारी के बाद भी ऊपरी क्षेत्रों में प्रवास करता है। यह पक्षी 12 से 14 हजार फीट की ऊंचाई तक प्रवास करता है।

पहाड़ पर बर्ड वाॅचिंग के लिए अनुकूल समय

बर्ड वॉचिंग से जुड़े मोनाल संस्था के अध्यक्ष के सुरेंद्र पवार बताते हैं कि नवंबर से मार्च तक सामान्य ऊंचाई वाले स्थानों पर दुलर्भ पक्षियों का बसेरा रहता है। यह समय पहाड़ में शीत का समय रहता है जो पर्यटन के लिहाज से ऑफ सीजन है। यह अवधि पहाड़ पर बर्ड वाचिंग के लिएसबसे अनुकूल है। बर्ड वॉचिंग से शीतकाल में पर्यटन को बढ़ावा मिल सकता है। विगत कुछ वर्षो से इस सीजन में बर्ड वॉचिंग हो रही है, सरकार इसमें मदद करे तो शीतकाल में भी पर्यटक पहुंचेंगे।


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