पहाड़ का इतिहास जानने को टटोलनी होंगी अपनी जड़ें
श्रुति परंपराओं पर आधारित इतिहास विषय पर हल्द्वानी में दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : श्रुति परंपराओं पर आधारित इतिहास विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार शनिवार से मुखानी स्थित हिमालय संगीत शोध समिति में शुरू हो गया है। मुख्य वक्ता प्रो. प्रयाग जोशी ने कहा कि मध्यकाल में जिन व्यवस्थाओं को अंजाम दिया गया, वह हमारी नीति, कला, संगीत व इतिहास का चरम था। आश्चर्य है कि बहुत बातें आज तक इतिहास में नहीं आ सकी हैं। सीराकोट व मणकोट जैसे केंद्र बिंदु को उजागर करने की जरूरत है। उन्होंने पहाड़ की जड़ों को जानने के लिए अपने इतिहास को टटोलने की जरूरत बताई।
वरिष्ठ कथाकार स्व. आनंद बल्लभ उप्रेती की सातवीं पुण्यतिथि पर आयोजित समारोह में शिक्षाविद् स्व. राधाबल्लभ उप्रेती की पुस्तक 'उप्रेती : राग-भाग हमारे', राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त केडी जोशी की पुस्तक 'जरा पढ़ लो' व 'उच्यालै बात' के अलावा बलवंत सिंह बोरा की अल्बम शिव शरणम गच्छामि का विमोचन किया गया। प्रो. प्रयाग जोशी ने कहा कि उप्रेती राग-भाग हमारे पुस्तक मध्यकाल के कला, संगीत व इतिहास को उजागर करती है। हालाकि इस दिशा में बहुत खोज होनी बाकी है। सूचना उपनिदेशक डॉ. योगेश मिश्रा ने लोक संस्कृति, कला को प्रोत्साहित करने के साथ मिशन की पत्रकारिता पर बल दिया।
मंगल सिंह मर्तोलिया व फली सिंह दताल ने सीमात के इतिहास पर चर्चा की। समारोह में शिक्षा, संस्कृति व पत्रकारिता क्षेत्र की आठ शख्सियतों को स्व. आनंद बल्लभ उप्रेती स्मृति सम्मान से नवाजा गया। इस दौरान उच्च शिक्षा के पूर्व निदेशक प्रो. पीसी बाराकोटी, राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक बिपिन चंद्र पाडे, डॉ. पंकज उप्रेती, प्रो. दीपा गोबाड़ी, प्रो. सुरेश चंद्र टम्टा, जगदीश चंद्र सती, रमेश परिहार, कृष्ण सिंह पंचाल, व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष नवीन वर्मा, एनसी तिवारी, प्रो. विपिन उप्रेती, ताराचंद काडपाल, प्रो. अतुल जोशी, प्रो. जयश्री भंडारी, प्रो. पूनम रौतेला, डॉ. रितेश शाह, जगमोहन रौतेला, इस्लाम हुसैन, मनोज कुमार, भुवन काडपाल, ललित मोहन जोशी, धीरज उप्रेती, डॉ. सुनील पंत आदि मौजूद रहे। समारोह में लोक संस्कृति, साहित्य, कला विषय पर आधारित पुस्तकों की प्रदर्शनी लगाई गई।
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इन्हें किया गया सम्मानित
शिक्षा क्षेत्र में प्रशासनिक दक्षता के लिए प्रो. बीएस बिष्ट, कुमाऊं विश्वविद्यालय के निदेशक प्रो. बीएल साह, पर्यावरण व जल संरक्षण के लिए बची सिंह बिष्ट, शिक्षाविद सावित्री दुग्ताल, रंगकर्मी भूपेश पागती, पत्रकारिता व रचनात्मक कायरें के लिए गणेश पाडे, ओपी पाडे, दीपक सती को सम्मानित किया गया।