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च‍िंताजनक: गर्मियों से पहले ही गहरा सकता है जलसंकट, तेजी से ग‍िर रहा गौला का जलस्‍तर

महानगर की लाइफ लाइन कही जाने वाली गौला नदी इस साल समय से पहले सूखने लगी है। अगर इसी तरह से जलस्तर कम होता रहा तो गर्मियों से पहले ही पेयजल व सिंचाई के लिए पानी का संकट हो सकता था। घटता जलस्तर च‍िंता का सबब बना हुआ है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 21 Nov 2020 06:48 AM (IST)Updated: Sat, 21 Nov 2020 06:48 AM (IST)
च‍िंताजनक: गर्मियों से पहले ही गहरा सकता है जलसंकट, तेजी से ग‍िर रहा गौला का जलस्‍तर
गौला का जलस्‍तर लगातार कम हो रहा है।

हल्द्वानी, जेएनएन: महानगर की लाइफ लाइन कही जाने वाली गौला नदी इस साल समय से पहले सूखने लगी है। अगर इसी तरह से जलस्तर कम होता रहा तो गर्मियों से पहले ही पेयजल व सिंचाई के लिए पानी का संकट हो सकता था। लगातार घट रहे जलस्तर पर सिंचाई विभाग व जलसंस्थान के माथे पर भी पसीना आने लगा है।

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गौला नदी पर हल्द्वानी की सिंचाई व पेयजल व्यवस्था निर्भर है। जलसंस्थान को 30 क्यूसेक पानी की रोजाना पेयजल के लिए जरूरत होती है। जबकि सिंचाई नहरों के लिए रोजाना 315 क्यूसेक पानी की जरूरत होती है। वहीं जलसंस्थान के रिकार्ड बताते हैं कि इस साल नवंबर माह में ही गौला का जलस्तर लगातार घट रहा है। शुक्रवार को नदी का जलस्तर 179 क्यूसेक रिकार्ड किया गया था। जबकि पिछले साल 20 नवंबर को नदी का जलस्तर 248 क्यूसेक था। सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता मनोज तिवाड़ी ने बताया कि पिछले दो महीने से पहाड़ों में बरसात नहीं होने से गौला नदी का जलस्तर लगातार घट रहा है। अगर सर्दियों में पहाड़ों पर अच्छी बरसात नहीं हुई तो गर्मियों से पहले ही सिंचाई व पेयजल के लिए पानी का संकट शुरू हो जाएगा।

रोस्टर के हिसाब से चलायी जा रही नहरें

सिंचाई विभाग को इस साल नवंबर माह में ही नहरों को रोस्टर के हिसाब से चलाना पड़ रहा है। सिंचाई विभाग के मुताबिक गौला नदी से कालाढूंगी रोड पर लामाचौड़ तक, गौलापार क्षेत्र, बरेली रोड व रामपुर रोड पर बेलबाबा तक के गांवों के खेतों की सिंचाई होती है। नदी का जलस्तर कम होने से इस साल दो दिन कठघरिया नहर, दो दिन रामपुर रोड व बरेली रोड नहर व दो दिन गौलापार क्षेत्र की नहरों में पानी छोड़ा जा रहा है। इसके अलावा 30 क्यूसेक पानी रोजाना जलसंस्थान को दिया जाता है।

इस साल गर्मियों में मिली थी राहत

इस साल गर्मियों में लॉक डाउन की वजह से शहर में पेयजल की खपत काफी घट गयी थी। इसके साल ही गर्मी भर समय-समय पर बरसात होती रही। जिस कारण नदी का जलस्तर अन्य सालों की अपेक्षा अधिक था। वहीं बरसात के शुरुआती दिनों में तो अच्छी बरसात हुई, लेकिन पिछले दो महीने से पहाड़ों पर बरसात नहीं हुई है।


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