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तराई में भी पाताल में पहुंचने लगा पानी

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : पहाड़ के नौले-गधेरे व प्राकृतिक स्रोतों में ही नहीं घट रहा है। पानी के ल

By JagranEdited By: Published: Sat, 16 Jun 2018 01:22 AM (IST)Updated: Sat, 16 Jun 2018 01:22 AM (IST)
तराई में भी पाताल में पहुंचने लगा पानी
तराई में भी पाताल में पहुंचने लगा पानी

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : पहाड़ के नौले-गधेरे व प्राकृतिक स्रोतों में ही नहीं घट रहा है। पानी के लिए तराई भी तरसने लगी है। पहले तक माना जाता था कि तराई में भूजल लबालब है, लेकिन अब वहां भी पानी पाताल पहुंचने लगा है। तेजी से कम होती खेती, धड़धड़ बनते कंक्रीट के जंगल और बिना भूजल रिचार्ज के हो रहे पानी का दोहन करना जलस्तर घटने के पीछे अहम कारण है।

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जलसंस्थान के मुताबिक ऊधम सिंह नगर जिले में अधिकांश लोगों ने निजी नलकूप व हैंड पंप लगा रखे हैं। हालांकि कुछ इलाकों में जलसंस्थान भी जलापूर्ति करता है। ये पानी भी नलकूप लगाकर बांटा जाता है। अफसर बताते हैं कि ऊधम सिंह नगर में पानी 30 से 40 फीट खोदने पर आने लगता है। लेकिन पीने लायक पानी 175 फीट खोदने पर मिल रहा है। कुछ साल पहले तक 150 फीट पर खोदने पर ही पेयजल मिलने लगता था। रिकार्ड के मुताबिक पूरे ऊधम सिह नगर जिले में जलसंस्थान 68 नलकूप हैं। इसमें सभी नलकूपों का जलस्तर तेजी से घट रहा है। जलस्तर घटने से कुछ नलकूपों का पानी 75 फीसद तक कम हो चुका है। तेजी से घट रहे जलस्तर ने जलसंस्थान की चिंता बढ़ा दी है। ऊधम सिंह नगर के शहरों में कुल 32 नलकूपों से जलापूर्ति

जलसंस्थान के रिकार्ड के मुताबिक ऊधम सिंह नगर के शहरों में कुल आठ पेयजल योजनाएं जलापूर्ति के लिए बनी हैं। इनमें 32 नलकूपों से जलापूर्ति की जाती है। भूजल स्तर घटने से 14 नलकूपों का पानी 25 फीसदी तक कम हो चुका है। जबकि 15 नलकूपों में 50 दर्ज तक कमी दर्ज की गई है। तीन नलकूपों का पानी 75 फीसद तक घटने ने अब जलसंस्थान अफसरों को भविष्य के जलसंकट के लिए सोचने पर मजबूर कर दिया है। गांवों में 36 नलकूपों से जलापूर्ति, चार का पानी 47 फीसद घटा

जलसंस्थान अफसरों के मुताबिक ऊधम सिंह नगर के गांवों में जलापूर्ति के लिए 20 पेयजल योजनाएं बनी है। इन योजनाओं में जलापूर्ति के लिए 36 नलकूप हैं। रिकार्ड बताते हैं कि इसमें से 18 नलकूपों का पानी 25 फीसद घटा है। जबकि 14 नलकूपों से 50 फीसद पानी कम निकल रहा है। चार नलकूप ऐसे दर्ज किए गए हैं, जिनका पानी उनके निर्माण के तुलना में 74 फीसद कम हो चुका है।


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