वीरू हत्याकांड : सोनू को मुजरिम बनाने का प्रार्थना पत्र स्वीकार
रामनगर में बहुचर्चित बीडीसी सदस्य विरेंद्र मनराल उर्फ वीरू हत्याकांड में पुलिस विवेचना में बड़ी चूक सामने आई है। हत्या से पहले सोनू कांडपाल निवासी गेबुआ कालाढूंगी कोर्ट परिसर में मौजूद था।
नैनीताल, जेएनएन : रामनगर में बहुचर्चित बीडीसी सदस्य विरेंद्र मनराल उर्फ वीरू हत्याकांड में पुलिस विवेचना में बड़ी चूक सामने आई है। मामले के दो गवाहों ने कोर्ट में बयान देकर साफ कहा कि हत्या से पहले सोनू कांडपाल निवासी गेबुआ कालाढूंगी कोर्ट परिसर में मौजूद था। उसकी सोनू के कहने पर ही मुख्य आरोपित देवेंद्र सिंह उर्फ बाऊ द्वारा वीरू पर फायर किया गया, जिससे उसकी मौत हो गई।
दरअसल, पिछले साल पहली सितंबर को रामनगर अदालत परिसर में विरेंद्र मनराल की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में मृतक के भाई दीवान सिंह मनराल द्वारा देवेंद्र बाऊ, सोनू कांडपाल, हरीश फत्र्याल, संजय नेगी के खिलाफ तहरीर दी। पुलिस ने जांच उपरांत दर्शन सिंह पुत्र दिलबाग सिंह, गुरप्रीत सिंह को आरोपित बनाया। हाल ही में पुलिस द्वारा सौंपी गई चार्जशीट में सोनू कांडपाल का जिक्र नहीं था तो अभियोजन की ओर से डीजीसी फौजदारी सुशील कुमार शर्मा द्वारा अदालत में प्रार्थना पत्र देकर सोनू कांडपाल को आरोपित बनाने की अनुमति मांगी थी। प्रार्थना पत्र में साफ लिखा था कि हत्याकांड के चश्मदीद गवाह रिपोर्टकर्ता दीवान मनराल व कुलदीप मनराल ने बयान दर्ज कराए हैं कि घटना के समय बाऊ के साथ सोनू कांडपाल भी था। सोनू ने ही कहा था कि विरेंद्र को गोली मार। पुलिस चार्जशीट में सोनू का कहीं उल्लेख नहीं था। जिला एवं सत्र न्यायाधीश नरेंद्र दत्त की कोर्ट ने अभियोजन की सोनू को बतौर अभियुक्त तलब करने की अनुमति प्रदान कर दी। साथ ही सम्मन जारी कर दिया। यहां बता दें कि इस मामले की विवेचना रामनगर एसएचओ से हटाकर मल्लीताल कोतवाल को हस्तांतरित की गई थी।
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