गाडिय़ों के वीवीआइपी नंबर का क्रेज बढ़ा, 0001 नंबर ने तोड़ा 0009 का रिकॉर्ड, 4.37 लाख में बिका
वीवीआइपी नंबर पाने के लिए लोग अब लाखों चुकाने में परहेज नहीं कर रहे। हल्द्वानी आरटीओ ऑफिस से इस बार 0001 नंबर सबसे महंगा बिका है।
हल्द्वानी, गोविंद बिष्ट : वीवीआइपी नंबर पाने के लिए लोग अब लाखों चुकाने में परहेज नहीं कर रहे। हल्द्वानी आरटीओ ऑफिस से इस बार 0001 नंबर सबसे महंगा बिका है। इस नंबर को पाने के लिए वाहनस्वामी ने बेस प्राइज से 43 गुना ज्यादा रकम खर्च की है। दस हजार बेस प्राइज का यह नंबर चार लाख 37 हजार में बिका है। पिछले साल 0009 नंबर सबसे महंगा था। अब उसका रिकॉर्ड टूट चुका है।
नंबरों को लकी माना जाता है। गाडिय़ों के नंबर हों या फिर मोबाइल नंबर। नंबरों का यह शौक हर जगह दिखाई देता है। इस शौक को पूरा करने के लिए लोग बड़ी कीमत चुकाने से भी नहीं चूक रहे हैं। महंगी व लग्जरी कारों के अलावा लोग अब दोपहिया वाहनों में भी मनपसंद नंबर चाहते हैं। पारदर्शिता के लिए परिवहन विभाग ऑनलाइन तरीके से नंबर जारी करता है, जिसकी सबसे ऊंची बोली होगी, वीवीआइपी नंबर उसका होगा। परिवहन विभाग के मुताबिक, पिछले साल 0009 नंबर सबसे महंगे दाम पर छूटा था। रामगढ़ निवासी एक कारोबारी महिला ने सवा तीन लाख में इसे खरीदा था। वहीं इस बार 0001 नंबर के दाम ऑनलाइन बोली में चढ़ते गए, जबकि पिछली बार यह पिछड़ा था। चार लाख 37 हजार रुपये में हिमांशु एजुकेशनल सोसायटी के नाम पर यह नंबर जारी हुआ है। पिछले साल 0009 नंबर उत्तराखंड का सबसे महंगा नंबर भी साबित हुआ था। लेकिन इस बार देहरादून व हरिद्वार में पांच लाख व चार लाख से अधिक में भी वीवीआइपी नंबर छूट चुके हैं।
एक लाख में मिलता था 0001
परिवहन विभाग के अफसरों के मुताबिक, एक साल पहले वीवीआइपी नंबरों को ऑनलाइन सिस्टम से जारी करने का नियम जारी हुआ। इससे पहले 0001 नंबर एक लाख में मिलता था, जबकि 0002 से तीन तक की सीरीज का दाम साठ हजार फिक्स था। पहले आओ और पहले पाओ के हिसाब से इन्हें जारी किया जाता है। ऑनलाइन प्रक्रिया से परिवहन विभाग का राजस्व भी बढ़ा है।
786 के ग्राहक हुए कम
0786 नंबर का धार्मिक महत्व है। लिहाजा टेलीकॉम कंपनियां तक 786 में ग्राहकों को विशेष ऑफर देकर लुभाती हैं। अफसरों की माने तो दो साल से 0786 नंबर को लेकर क्रेज कुछ कम हुआ है। इस वजह से पिछली दो ऑनलाइन बोली में यह नंबर चढ़ नहीं सका।
4.37 लाख का नंबर किस गाड़ी में लगेगा
एजुकेशनल सोसायटी के नाम पर चार लाख से अधिक दाम पर नंबर तो छूट गया है। लेकिन अभी यह पता नहीं चल सका कि इसे किस गाड़ी में लगाया जाएगा। अधिकारियों के मुताबिक रजिस्ट्रेशन के लिए जब गाड़ी पहुंचेगी, तभी पता चल सकेगा।
गाडिय़ों के मामले में यूएस नगर तो नंबरों में नैनीताल
लग्जरी गाडिय़ों के मामले में ऊधमसिंह नगर नैनीताल जनपद से आगे है। लेकिन बात अगर वीवीआइपी नंबरों पर पैसा खर्च करने की हो तो नैनीताल के लोग आगे रहते हैं। पिछले साल 0009 नंबर जहां हल्द्वानी आरटीओ ऑफिस से सवा तीन लाख में छूटा तो वहां सिर्फ बेस प्राइज यानी दस हजार में बिका। इस बार में हल्द्वानी में मनपसंद नंबरों को लेकर क्रेज ज्यादा रहा।
बढ़ते क्रम भी बने पसंद
चार इक्कों से लेकर चार नहले भी जहां सबकी पसंद हैं, वहीं बढ़ते क्रम के नंबर भी लोगों को भाते हैं। इनका ज्योतिषीय महत्व माना जाता है, जिस वजह से परिवहन विभाग इनका भी ब्रेस प्राइज निर्धारित करता है।
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