गंगा गाय योजना : दुग्ध उत्पादन से जुड़ेंगे ग्रामीण, दो करोड़ रुपये से खरीदी जाएंगी सात सौ गायें
सहकारिता के माध्यम से ग्रामीणों को दुग्ध उत्पादन से जोडऩे के लिए डेयरी निदेशालय पचास प्रतिशत अनुदान देकर दुधारू गाय उपलब्ध कराएगा।गंगा गाय योजना के तहत विभाग को दो करोड़ रुपये का बजट मिल चुका है।
हल्द्वानी, जेएनएन : सहकारिता के माध्यम से ग्रामीणों को दुग्ध उत्पादन से जोडऩे के लिए डेयरी निदेशालय पचास प्रतिशत अनुदान देकर दुधारू गाय उपलब्ध कराएगा। वित्तीय वर्ष 2018-19 में गंगा गाय योजना के तहत विभाग को दो करोड़ रुपये का बजट मिल चुका है। जिससे सात सौ गाय खरीदी जाएंगी। बजट मिलने के बाद डेयरी निदेशालय ने जिलेवार मांग के अनुरूप बजट आवंटन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। प्रदेश के प्रत्येक जिले में दुग्ध संघ से जुड़ी ग्रामीण स्तर की प्राथमिक समितियों की संख्या के हिसाब से बजट आवंटन किया जाएगा। जिसमें प्रत्येक जिले के हिस्से में पचास से डेढ़ सौ गाय आने की उम्मीद है। सहकारी दुग्ध संघों से जुड़े पशुपालक ही इसके लिए अपनी समितियों के माध्यम से आवेदन कर सकेंगे। 2015-16 में आरंभ की गई इस योजना में दस हजार गाय खरीदने का लक्ष्य रखा गया है। अब तक तीन हजार से ज्यादा गाय खरीदी जा चुकी हैं।
बोर्ड बैठक में ही होगा सदस्यों के इस्तीफे पर फैसला
उत्तराखंड सहकारी डेयरी फेडरेशन (यूसीडीएफ) में घमासान जारी है। फिलहाल शुक्रवार को फेडरेशन की प्रबंध समिति का कोई भी सदस्य इस्तीफा देने फेडरेशन के मंगलपड़ाव स्थिति मुख्यालय नहीं पहुंचा। फेडरेशन के बोर्ड को भंग करने को लेकर अब तक सिर्फ चर्चाएं हो रही हैं। प्रबंध समिति के दो सदस्यों ने अपना इस्तीफा देने की पुष्टि की है, लेकिन अन्य किसी भी सदस्य ने अभी पुष्टि नहीं की गई। फेडरेशन के नियमों के अनुसार समिति के सदस्य केवल चेयरमैन को ही अपना इस्तीफा दे सकते हैं। जबकि अभी तक पांच सदस्यों के इस्तीफा देने की चर्चा चल रही है उन्होंने फेडरेशन के निबंधक को अपना इस्तीफा भेजा है। नियमों के अनुसार बोर्ड बैठक में ही सदस्यों के इस्तीफे का अनुमोदन होगा, जिसके बाद ही इसे स्वीकार किया जा सकेगा। इसलिए अब सभी की नजरें 27 फरवरी को प्रस्तावित बोर्ड की बैठक पर टिकी हैं। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस समर्थित सदस्य बैठक करवाने के पक्ष में हैं, जबकि भाजपा फिलहाल इस मामले में खामोश है।
यह भी पढ़ें : रास नहीं आई नौकरी, प्रताप ने घर में शुरू की मशरूम की खेती, कमा रहे हैं हजारों