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जब शासन स्‍तर से नहीं हो रही कवायद तो ग्रामीण खुद खोल रहे हैं मार्ग, वृद्ध भी कर रहे हैं श्रमदान

मानसून काल से पूर्व जिला मुख्यालय में आपदा से निपटने के लिए जिला प्रशासन ने एक दर्जन से अधिक बैठक कर तैयारी के दावों की पोल खुल चुकी है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 21 Jul 2019 06:31 PM (IST)Updated: Mon, 22 Jul 2019 11:07 AM (IST)
जब शासन स्‍तर से नहीं हो रही कवायद तो ग्रामीण खुद खोल रहे हैं मार्ग, वृद्ध भी कर रहे हैं श्रमदान
जब शासन स्‍तर से नहीं हो रही कवायद तो ग्रामीण खुद खोल रहे हैं मार्ग, वृद्ध भी कर रहे हैं श्रमदान

पिथौरागढ़/मुनस्यारी, जेएनएन : मानसून काल से पूर्व जिला मुख्यालय में आपदा से निपटने के लिए जिला प्रशासन ने एक दर्जन से अधिक बैठक कर तैयारी के दावों की पोल खुल चुकी है। दस दिन पूर्व आई आपदा से तहसील बंगापानी के सिरतोला गांव में तबाही मची। गांव को जोडऩे वाला मार्ग बह गया। आपदा राहत प्रबंधन के तहत मार्ग खोलने की कोई कवायद नहीं होने से अब ग्रामीण खुद मार्ग खोलने में जुटे हैं। उल्लेखनीय है कि मार्ग खोलने के लिए गांव के 80 साल से अधिक उम्र के वृद्ध भी शामिल हैं।

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12 जुलाई को इस क्षेत्र में भारी बारिश हुई थी। भारी बारिश से सिरतोला गांव में भूस्खलन हो गया। जिसकी चपेट में आकर केदार सिंह का मकान ध्वस्त हो गया। पुष्कर सिंह , मोहन सिंह, कुंदन सिंह, गोविंद सिंह, लक्ष्मण सिंह और हुकुम सिंह के मकान खतरे में आ गए। इन छह परिवारों ने अपने नाते, रिश्तेदारों के घरों पर शरण ली है। ललित सिंह की गौशाला खतरे में है और गोविंद सिंह का शौचालय टूट गया। सेरा, सिरतोला, खरतोली, शिलिंग को जोडऩे वाला मार्ग भूस्खलन से टूट गया।

घटना के बाद एसडीआरएफ, पुलिस और आपदा प्रबंधन की टीम गांव पहुंची। फौरी तौर पर खतरे में आए परिवारों की सुरक्षा का दावा किया गया। टीम वापस लौटी, प्रशासन को स्थिति से अवगत कराया। दस दिन बीतने के बाद भी बंद मार्ग को खोलने के लिए कोई पहल नहीं की गई । दस दिनों से गांव में ही फंसे ग्रामीणों को अब खुद मार्ग खोलना पड़ रहा है। गांव की महिलाएं, वृद्ध और अन्य ग्रामीण हाथों में कुदाल, फावड़ा, बेलचा लेकर मार्ग खोलने में जुटे हैं। 

ग्रामीणों की सुध नहीं ली तो देंगे धरना

स्थानीय युवा समाज सेवी विक्रम दानू, राजेंद्र तोमक्याल ने बताया कि गांवों में स्थिति बेहद दयनीय बनी है। एक दिन आपदा प्रबंधन का नाटक करने के बाद प्रशासन द्वारा पीडि़त परिवारों को कोई मदद नहीं दी गई है। तीन दिन के भीतर ग्रामीणों की सुध नहीं लिए जाने पर पीडि़तों को साथ लेकर बंगापानी तहसील कार्यालय में धरना देने की चेतावनी दी है।


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