पांच साल में 47 करोड़ नुकसान पर वित्त मंत्री ने कांग्रेस को घेरा
14वें वित्त आयोग की संस्तुतियों में राज्य के राजकोषीय घाटे का ठीकर वित्त मंत्री ने कांग्रस की पूर्ववर्ती सरकार पर फोड़ा है।
जागरण संवाददाता, नैनीताल : 14वें वित्त आयोग की संस्तुतियों में राज्य के राजकोषीय घाटे को शून्य करने व 14.21 प्रतिशत खर्च बढ़ने से राज्य को पांच साल में 47,278 हजार करोड़ से अधिक के नुकसान का मामला अब सियासी बन गया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता व वित्त मंत्री प्रकाश पंत ने इसके लिए पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए सियासी हमला बोला है। उन्होंने कहा कि निकायों में ईमानदार राजनीति कर विकास के लिए भाजपा प्रत्याशियों की जीत जरूरी है।
बुधवार को होटल मनुमहारानी में मीडिया से वित्त मंत्री ने कहा कि केंद्रीय वित्त आयोग को राज्य की चिंताओं से अवगत कराया गया है। राज्य में 70 फीसद वन हैं, जबकि 86 फीसद भूभाग वनाच्छादित है। पर्वतीय क्षेत्र की विषम भौगोलिक परिस्थितियां हैं। राज्य में 42 हजार किमी सड़कों की मरम्मत के लिए अतिरिक्त संसाधन चाहिए। उन्होंने बताया कि 14वें वित्त आयोग के राजस्व आंकलन में 14.21 प्रतिशत खर्च बढ़ गया है। आयोग ने हिमाचल प्रदेश को 40,625 करोड़ और जम्मू कश्मीर को 58,666 करोड़ राजस्व घाटे की प्रतिपूर्ति की, जबकि उत्तराखंड को कोई सहायता नहीं मिली। राज्य को पांच साल में 47,278 करोड़ नुकसान हुआ। उन्होंने इसके लिए पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की सियासी हमला बोला। निकायों को जारी किए 354 करोड़
वित्त मंत्री ने कहा कि निकायों को एकमुश्त 354 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। उन्होंने कहा कि केंद्रीय वित्त आयोग से ग्राम पंचायतों को पर्याप्त बजट मिल रहा है। पांचवें राज्य वित्त आयोग की सिफारिशों में क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायतों की चिंताओं का ख्याल रखा जाएगा। निकाय आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बने, इसके लिए चुनाव बाद ओरियंटेशन प्रोग्राम चलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य में ढाई सौ आबादी तक के गांवों को सड़क से जोड़ा जा चुका है, अब इससे अधिक की आबादी वाले गांवों को जोड़ा जा रहा है। सिंबल में लड़ेंगे निकाय चुनाव
नैनीताल: वित्त मंत्री ने कहा कि भाजपा वार्ड सदस्य से लेकर निकाय अध्यक्ष तक का चुनाव सिंबल पर लड़ेगी। उन्होंने प्रत्याशी चयन में गुटबाजी से इनकार करते हुए कहा कि अगले दो दिन के भीतर प्रत्याशियों का एलान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पहली बार सरकार ने 1200 चिकित्सकों को दुर्गम अस्पतालों में तैनाती दी।