उत्तराखंड हाईकोर्ट सिविल जज को बर्खास्त कर न्यायिक अधिकारियों को दिया सख्त संदेश
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सरकार से मुकदमा वापस होने के बाद भी किशोरी के उत्पीड़न के आरोप में घिरी सिविल जज दीपाली शर्मा को बर्खास्त कर को बर्खास्त कर सख्त संदेश दिया है। इस फैसले से न्यायपालिका की स्वतंत्रता व निष्पक्षता फिर साबित हुई है।
नैनीताल, जेएनएन : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सरकार से मुकदमा वापस होने के बाद भी किशोरी के उत्पीड़न के आरोप में घिरी सिविल जज दीपाली शर्मा को बर्खास्त कर को बर्खास्त कर सख्त संदेश दिया है। इस फैसले से न्यायपालिका की स्वतंत्रता व निष्पक्षता फिर साबित हुई है। इसके साथ ही आमजन का न्यायिक व्यवस्था पर भरोसा भी बढा है। न्यायिक के साथ प्रशासनिक व अन्य क्षेत्र में अनुशासन व कामकाज में पारदर्शिता, ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा को कामकाज का बुनियादी आधार बनाया गया है। मगर आए दिन अधिकारियों पर अनियमितता के आरोप लगते रहे हैं। मगर हाईकोर्ट ने उच्च मापदंड स्थापित करते हुए भ्रष्टाचार व अन्य मामलों की शिकायत प्रथम दृष्टया पुष्ट होने पर न्यायिक अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की है।
पिछले साल भी भ्रस्टाचार के मामले में उधमसिंह नगर जिले की सिविल जज अनुराधा को भी बर्खास्त कर दिया था। इसके अलावा गंभीर आरोपों पर अब तक चार न्यायिक अधिकारी नप चुके हैं। कार्रवाई का आधार सेवा नियमावली को बनाया है। सिविल जज से संबंधित ताजा मामले में हाईकोर्ट ने उत्तराखंड सरकारी सेवक ( अनुशासन एवं अपील नियमावली 2003) के नियम तीन के खंड (ख) के उपखंड तीन के अंतर्गत सेवा से हटाने की संस्तुति की थी। जिसे राज्यपाल ने मंजूरी प्रदान कर दी। राज्य बनने के बाद उत्तराखंड में हाईकोर्ट ने तीसरे न्यायिक अधिकारी को बर्खास्त किया है। पिछले साल जुलाई में उधमसिंह नगर जिले की महिला न्यायिक अधिकारी को भ्र्ष्टाचार के मामले में बर्खास्त किया था। जबकि एक और न्यायिक अधिकारी को बर्खास्त किया है, उनके बर्खास्तगी आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि निलंबन के न्यायिक अधिकारी को टिहरी संबद्ध किया गया था।