हल्द्वानी, जागरण ऑनलाइन टीम। लाईन नम्बर-8 व 12 वनभूलपुरा में अतिक्रमण हटाने गई टीम को विरोध का सामना करना पड़ा। टीम आंशिक निर्माण तोड़ने के बाद लौट गईं। एसडीएम मनीष कुमार ने बताया कि अगल बगल मकानों के खतरे को देखते हुए कार्यवाही रोक दी। निर्माणकर्ता खुद ही अवैध निर्माण को ध्वस्त करेंगे।
इससे पहले सोमवार सायं आयुक्त दीपक रावत एवं आईजी नीलेश आनन्द भरणे ने बनभूलपुरा लाईन नम्बर 8 व 12 में अवैध रूप से बनाये जा रहे भवनों का स्थलीय निरीक्षण किया। रावत ने बिना नक्शे पास कराये बनाये जा रहे दो भवनों को मौके पर ही ध्वस्तीकरण के आदेश भी दिये। आयुक्त ने नगर निगम तथा प्राधिकरण के अधिकारियों के स्पष्टीकरण के आदेश भी मौके पर दिये। उन्होंने कहा नगर निगम एवं प्राधिकरण के अधिकारियों की संलिप्तता पाये जाने पर सम्बन्धित अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही की जायेगी।
उन्होंने सरकारी भूमि पर कब्जे तथा बेसमेंट से निकले खनिज की चोरी पर अवैध रूप से बन रहे भवन स्वामियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के निर्देश भी दिये। इस अवसर पर सिटी मजिस्ट्रेट ऋचा सिंह, उपजिलाधिकार मनीष कुमार, नगर स्वास्थ्य अधिकारी मनोज काण्डपाल के साथ ही विद्युत, पुलिस महकमे के अधिकारी उपस्थित थे।
नए सीमांकन से बनभूलपुरा में कई परिवारों को मिल सकती है राहत
हल्द्वानी के बनभूलपुरा में अतिक्रमण को लेकर दोबारा सीमांकन शुरू हो गया है। इस बार प्रशासन, नगर निगम व रेलवे तीनों के नक्शों का मिलान कर सालों पुरानी रेलवे लाइन से सीमांकन कर रहा है। पहले सीमांकन वर्ष 2017 में नई रेलवे लाइन से हुआ था। इस आधार पर अतिक्रमण के जद में 4346 भवन आ रहे थे।
पुरानी रेल लाइन से सीमांकन होने पर कई लोगों को राहत मिल सकती है। पूर्व में हुए सीमांकन के साथ कई समीकरण बदल जाएंगे। इस मामले में अगली सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में सात फरवरी को प्रस्तावित है। वहीं, प्रशासन, नगर निगम व रेलवे की ओर से सीमांकन की कार्रवाई सोमवार को इंदिरानगर ठोकर से हुई।
बनभूलपुरा के रहने वाले हाजी अब्दुल मलिक ने डीएम की अध्यक्षता में शनिवार को हुई बैठक में नक्शे पेश किए थे। उनका दावा है कि वर्ष 1935 से 1942 के बीच गौला नदी में भयंकर बाढ़ आई थी। बाद में ट्रैक को 150 मीटर वर्तमान लाइन की ओर शिफ्ट कर दिया था।
वर्ष 2017 में रेलवे, प्रशासन व निगम ने सीमांकन नई रेलवे लाइन से कर दिया। पहले 29 और बाद में रेलवे ने 78 एकड़ जमीन पर कब्जे की बात कही थी। मलिक की ओर से पेश नक्शे में पुरानी रेलवे लाइन भी दर्ज है। अब प्रशासन, रेलवे व निगम तीनों इसी रेलवे लाइन को ढूंढने में लगे हैं। वन विभाग के नक्शे के आधार पर सीमांकन कर लाइन को ढूंढा जाएगा। रेलवे का पिलर मिलते ही सीमांकन दोबारा होगा।