Uttarakhand: सर्किल रेट बढ़ोतरी को हाईकोर्ट में चुनौती, देहरादून में बिना जांच मांस की बिक्री पर कोर्ट गंभीर
Uttarakhand हाई कोर्ट ने उत्तराखंड में सर्किल रेट में बढ़ोतरी को चुनौती देती याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। कोर्ट ने देहरादून में मटन व चिकन की दुकानों में बिना परीक्षण के बेचे जा रहे मांस को लेकर याचिका पर सुनवाई की।
जागरण संवाददाता, नैनीताल : Uttarakhand: हाई कोर्ट ने उत्तराखंड में सर्किल रेट में बढ़ोतरी को चुनौती देती याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। मामले की अगली सुनवाई 12 अगस्त को होगी।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में दिल्ली निवासी अंकित कालरा की याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें कहा गया है कि उन्होंने द्वारिका दिल्ली निवासी राजीव के साथ देहरादून के पछवादून में जमीन से संबंधित अनुबंध किया था। इसी बीच 15 फरवरी को राज्य सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी कर सर्किल रेट में बेतहाशा बढ़ोतरी कर दी। देश की किसी भी मेट्रोपोलिटन सिटी में सर्किल रेट में इतनी बढ़ोतरी कभी नहीं की गई।
शहरी के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों को भी नहीं छोड़ा गया। उन्होंने याचिका में नोटिफिकेशन को असंवैधानिक घोषित करने की प्रार्थना की। वहीं, याचिका का विरोध करते हुए मुख्य स्थायी अधिवक्ता चंद्रशेखर रावत ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए तर्क दिया कि राज्य सरकार को नीति बनाने का अधिकार है। कोर्ट वित्त से संबंधित नीति में सीधा हस्तक्षेप नहीं कर सकता। खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद सरकार को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया।
बिना परीक्षण के बेचे जा रहे मांस पर दून नगर निगम को नोटिस
हाई कोर्ट ने देहरादून में मटन व चिकन की दुकानों में बिना परीक्षण के बेचे जा रहे मांस को लेकर दायर जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई की। कोर्ट ने नगर निगम देहरादून व खाद्य सुरक्षा विभाग को नोटिस जारी कर अगली सुनवाई 16 अप्रैल तक जवाब दाखिल करने के लिए कहा।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में देहरादून निवासी विकेश सिंह नेगी की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। इसमें कहा गया कि देहरादून का एकमात्र स्लाटर हाउस पिछले चार साल से बंद है। मीट की दुकानों में बिना खाद्य सुरक्षा विभाग की जांच के ही मांस बेचा जा रहा है। बकरे और मुर्गे कहां काटे जा रहे हैं, कहां से आ रहे हैं, इससे निगम व खाद्य सुरक्षा विभाग बेखबर है।
नगर निगम व खाद्य सुरक्षा विभाग दून में लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। याचिकाकर्ता ने आरटीआइ के माध्यम से जानकारी मांगी तो खाद्य सुरक्षा विभाग ने कहा कि यह जिम्मेदारी नगर निगम की है, क्योंकि निगम ही दुकानों का आवंटन व किराया ले रहा है।
वहीं, निगम का कहना था कि दुकानों का लाइसेंस खाद्य सुरक्षा विभाग देता है इसलिए जांच की जिम्मेदारी भी उसी की है। याचिका में वर्ष 2016 में बनाए गए नगर निगम के नए नियम को लागू करने की मांग की गई, जिसमें जांच के बाद ही बकरे और मुर्गे काटने का प्रविधान है।