उत्तराखण्ड चुनाव 2022 : बगावत रोकने के लिए भाजपा-कांग्रेस इस बात का भी रख रहे विशेष ध्यान
Uttarakhand Chunav 2022टिकट बंटवारे को लेकर खुद बनाए गए जातीय समीकरण के फार्मूले में राष्ट्रीय दल उलझकर रह गए हैं। सत्ता के सिंहासन को हर हाल में पाने को बेताब दल कोई गलती नहीं करना चाहते। नामांकन से ठीक पहले ही सभी सीटों पर स्थिति साफ होने की उम्मीद है।
चंद्रशेखर द्विवेदी, अल्मोड़ा : Uttarakhand Chunav 2022टिकट बंटवारे को लेकर खुद बनाए गए जातीय समीकरण के फार्मूले में राष्ट्रीय दल उलझकर रह गए हैं। सत्ता के सिंहासन को हर हाल में पाने को बेताब दल कोई गलती नहीं करना चाहते। बगावत के कोई स्वर ना बुलंद हो पाए इसलिए टिकट फाइनल की भी खास टाइमिंग तय की जा रही है। नामांकन से ठीक पहले ही सभी सीटों पर स्थिति साफ होने की उम्मीद है।
भले ही संविधान कुछ कहे, लेकिन चुनाव जीतने के लिए राजनीतिक दल जातिय आधार पर ही टिकट बांटते हैं। ऐसा हर जगह देखने को मिलता है। अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र में अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़, चम्पावत चार जिलों की 14 विधानसभाएं आती हैं। संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार तीन सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। अब 11 सीटें बचती है। जिस पर क्षेत्र में जातियों की बहुलता के हिसाब से टिकट दिया जाता हैं। इन जिलों में सामान्य रूप से ठाकुर मतदाताओं की संख्या, ब्राह्मण मतदाताओं से ज्यादा है। इसलिए स्वभाविक तौर पर ठाकुर ही बहुसंख्य में प्रत्याशी तय किए जाते हैं।
बीजेपी ने बीते 2017 के विधानसभा चुनावों में अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र की 14 विधानसभा सीटों में सात ठाकुर, चार ब्राह्मण प्रत्याशी को टिकट दिया था। तीन सीटें संवैधानिक तौर पर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थीं। बीजेपी ने चार सीटों पिथौरागढ़, चम्पावत, जागेश्वर, रानीखेत विधानसभा में ब्राह्मण प्रत्याशी को टिकट दिया था। जबकि सात सीटों अल्मोड़ा, द्वाराहाट, सल्ट, डीडीहाट, धारचूला, लोहाघाट, कपकोट में ठाकुर प्रत्याशी को टिकट दिया था।
रानीखेत विधानसभा से दो बार विधायक रहे अजय भट्ट के नैनीताल संसदीय सीट से लोकसभा जाने के बाद यहां टिकट के दावेदारों की फौज खड़ी हो गई।रानीखेत में अब तक पार्टी ब्राह्मण को टिकट देते आई है। अगर यहां किसी दूसरी जाति के प्रत्याशी को टिकट देते हैं तो फिर इसका असर दूसरी सीट पर पड़ेगा। वहां जातीय संतुलन बैठना होगा। किसी का टिकट कटा तो बगावत तय है।
ऐसी ही स्थिति सल्ट और पिथौरागढ़ विधानसभा में भी है। दिग्गज प्रकाश पंत और सुरेंद्र जीना की असमय मौत के बाद हुए उपचुनाव में इन सीटों पर उनके स्वजन काबिज हैं। इसलिए कई दावेदार यहां भी अपनी ताल ठोक रहे। चम्पावत, जागेश्वर विधानसभा में भी यही हालात हैं। ऐसे में जातीय समीकरण के संतुलन के साथ टिकट बटवारा करना टेड़ी खीर बना हुआ है।
कांग्रेस भी इसी समीकरण को साधते हुए टिकट बटवारा करती है। बीते 2017 के विधानसभा के चुनावों को देखे तो कांग्रेस ने तीन सीटों अल्मोड़ा, चम्पावत, सल्ट विधानसभा में ब्राह्मण प्रत्याशी को टिकट दिया। जबकि 8 सीटों पर ठाकुर प्रत्याशी मैदान में उतारे। डीडीहाट, सल्ट, अल्मोड़ा आदि सीटों पर उनकी पार्टी के ही टिकट के दावेदार सिरदर्द बने हुए है। बगावत ना हो इसलिए पाॢटयां नामांकन से कुछ पहले ही टिकट फाइनल करने का मन बना रहे हैं।
इन सीटों पर हो सकती है बगावत
बीजेपी के लिए अल्मोड़ा जिले की रानीखेत, सल्ट, अल्मोड़ा, जागेश्वर विधानसभा। पिथौरागढ़ जिले की गंगोलीहाट, धारचूला, चम्पावत जिले की लोहाघाट, चम्पावत विधानसभा। बागेश्वर जिले की कपकोट सीट सिरदर्द बनी हुई है। वहीं कांग्रेस के लिए अल्मोड़ा जिले की सल्ट, सोमेश्वर, अल्मोड़ा पिथौरागढ़ जिले की डीडीहाट, गंगोलीहाट व बागेश्वर जिले की बागेश्वर विधानसभा में टिकट फाइनल होते ही बगावत होने की संभावना है।