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सहयोग से समाधान : गुणवत्ता व विश्वास के तड़के से लाजवाब हो गया उडुपीवाला का स्वाद

खान-पान एक ऐसा कारोबार है जहां गुणवत्ता और विश्वास की भूमिका महत्वपूर्ण है। यह कारोबार ईमानदारी धैर्य और स्वाद पर ही टिका हुआ है। जितना खान-पान का स्वाद ईमानदारी और ग्राहकों के प्रति विश्वास अच्छा होगा उतना ही दुकान पर ग्राहकों की भीड़ उमड़ेगी।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 12:30 AM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 12:30 AM (IST)
सहयोग से समाधान : गुणवत्ता व विश्वास के तड़के से लाजवाब हो गया उडुपीवाला का स्वाद
गुणवत्ता व विश्वास के तड़के से लाजवाब हो गया उडुपीवाला का स्वाद

हल्द्वानी, जेएनएन : खान-पान एक ऐसा कारोबार है, जहां गुणवत्ता और विश्वास की भूमिका महत्वपूर्ण है। यह कारोबार ईमानदारी, धैर्य और स्वाद पर ही टिका हुआ है। जितना खान-पान का स्वाद, ईमानदारी और ग्राहकों के प्रति विश्वास अच्छा होगा उतना ही दुकान पर ग्राहकों की भीड़ उमड़ेगी। इन्हीं कारणों से उडुपीवाला विशुद्ध वेज रेस्टोरेंट बीस वर्षों से लोगों के बीच अपनी पैठ बनाए हुए है।

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काठगोदाम स्थित उडुपीवाला रेस्टोरेंट के संचालक जोसफ रोड्रिगस कहते हैं कि पहले के दौर और अब के दौर में बदलाव आ गया है। पहले के दुकानदार अपने स्वाद से ही लोगों को खुद से जोडऩे का काम करते थे। एक भरोसा कायम करते थे कि इससे बेहतर स्वाद कहीं और नहीं मिलेगा। आधुनिक जमाने में खान-पान के कारोबार ने नई दिशा का रुख कर लिया है। ग्राहकों की जुबान का स्वाद और मन को भांपने की काबिलियत होनी भी जरूरी है। इन्हीं काबिलियत के सहारे कोरोना संकट के दौरान कारोबार के लिए खड़ी हुई चुनौतियों से लडऩे में उडुपीवाला रेस्टोरेंट ने भी डटकर सामना किया। 

बीस साल पहले शुरू हुआ स्वाद का कारोबार

मूलरूप से कर्नाटक के उडुपी जिले के रहने वाले जोसफ रोड्रिगस 1999 में हल्द्वानी आ गए थे। दक्षिण भारतीय संस्कृति के मुताबिक खान-पान का बचपन से शौक था। साल 2000 में रानीबाग के शीतला देवी मंदिर को जाने वाले रास्ते के पास रेस्टोरेंट की शुरुआत की। 2008 में इसे काठगोदाम के पास शिफ्ट कर दिया। यहां पूरी विशुद्ध रूप से शाकाहारी भोजन मिलता है। जोसफ बताते हैं कि साउथ इंडिया रेसिपी की विस्तृत वैरायटी उसके यहां की खास है। पूड़ी-भाजी, छोटा-भटूरा जिसे देश के हर कोने में नाश्ते में बड़े स्वाद से खाया जाता है, इसे भी परोसा जाता है। शुरुआत में हमारे कारीगर बाहर के होते थे। बाद में हमने स्थानीय लोगों को प्रशिक्षित किया। हमारे यहां 15 से 18 साल से कारीगर काम कर रहे हैं। आइये जानते हैं कि जोसफ रोड्रिगस ने कोरोनाकाल में किस तरह अपने काम को संभाला।

समाधान 1: स्वाद के साथ सुरक्षा का भरोसा

कोरोना संक्रमण के बीच भी लोगों को भरोसा दिलाने का प्रयास किया गया। रेस्टोरेंट में प्रवेश से पहले ग्राहक के हाथों को सैनिटाइज किया जाता है। बाकायदा थर्मल स्क्रीनिंग मशीन से शरीर का तापमान मापा जाता है। संक्रमण से बचाव के लिए साफ-सफाई के लिए विशेष सतर्कता बढ़ाई जा रही है।

समाधान 2: ग्राहकों का भरोसा सबसे बड़ा आधार

जोसफ रोड्रिगस बताते हैं कि कोरोना काल ग्राहकों का भरोसा चुनौतियों से लडऩे का पहला हथियार और समाधान था। ग्राहक वाट्सएप और मोबाइल पर संपर्क कर रेस्टोरेंट के खुलने के बारे में जानकारी ले रहे थे। कोरोना के शुरुआती चरण में जब रेस्टोरेंट पूरी तरह बंद थे हमने अपने स्टाफ के साथ भी जुड़ाव बनाए रखा। उन्हें सकारात्मक सोच के साथ हालात सामान्य होने का हौसला देते रहे।

समाधान 3: नहीं की कर्मचारियों की छंटनी

कोरोना संकट में किसी भी कर्मचारी की छंटनी नहीं की गई, बल्कि बचाव को लेकर उनको विभिन्न तरीके का प्रशिक्षण दिया गया, बल्कि उन्हें जागरूक किया। जब रेस्टोरेंट बंद हुए तब भी ग्राहकों को सूचना दी गई। अनलाक प्रक्रिया में बाजार खुलने के समय की भी जानकारी ग्राहकों को भेजी गई। जितना हो सका उतना संवाद ग्राहकों के साथ लगातार बनाए रखा। इससे ग्राहकों का ही नहीं बल्कि हमारे स्टाफ का भरोसा बढ़ता चला गया।


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