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तराई बन रहा चरस तस्करी का गढ़, 10 माह में 38 किलो माल बरामद, चार साल का टूटा रिकाॅर्ड

तराई चरस तस्करी का गढ़ बनता जा रहा है। यही कारण है कि कोरोना महामारी के बावजूद भी जिले में 10 माह में ही बीते चार साल का रिकार्ड टूट गया है। वर्ष 2016 में 4.602 किलोग्राम पुलिस ने चरस पकड़ी थी वहीं इस साल 38.893 किलोग्राम चरस पकड़ी है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 05 Nov 2020 03:07 PM (IST)Updated: Thu, 05 Nov 2020 07:56 PM (IST)
तराई बन रहा चरस तस्करी का गढ़, 10 माह में 38 किलो माल बरामद, चार साल का टूटा रिकाॅर्ड
तराई बन रहा चरस तस्करी का गढ़, 10 माह में 38 किलो माल बरामद, चार साल का टूटा रिकार्ड

रुद्रपुर, जेएनएन : तराई चरस तस्करी का गढ़ बनता जा रहा है। यही कारण है कि कोरोना महामारी के बावजूद भी जिले में 10 माह में ही बीते चार साल का रिकार्ड टूट गया है। वर्ष, 2016 में 4.602 किलोग्राम पुलिस ने चरस पकड़ी थी, वहीं इस साल 38.893 किलोग्राम चरस पकड़ी है। कुमाऊं मंडल में ऊधमसिंहनगर अपराधिक वारदात के मामले में पहले पायदान पर है। इसके साथ ही जिले में नशे का कारोबार भी तेजी से फल-फूल रहा है। स्मैक, हेरोइन, डोडा, कच्ची शराब, गांजा, अफीम के साथ ही तराई में पर्वतीय क्षेत्र में उगाई जाने वाली भांग के पत्तों से चरस बनाकर उसकी तस्करी भी लगातार की जा रही है।

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अच्छी कमाई के फेर में तस्कर पर्वतीय क्षेत्रों से चरस लाकर जिले के साथ ही इससे सटे उत्तर प्रदेश के जिलों में भी सप्लाई कर रहे हैं। अब तक जो भी तस्कर चरस तस्करी में गिरफ्तार हुए हैं उनमें से अधिकांश चंपावत, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा और बागेश्वर के थे। पुलिस आंकड़ों की बात करें तो वर्ष, 2016 में 53 तस्करों की गिरफ्तारी कर 4.602 किलोग्राम चरस पकड़ी गई थी। वर्ष, 2017 में 180 तस्करों से 36 किलो, 2018 में 217 तस्करों से 27.860 किलो तथा 2019 में 133 तस्करों से नौ किलो चरस पकड़ी गई थी। जबकि इस साल अब तक कोरोना काल के बाद भी पुलिस 38 किलो चरस केवल 187 तस्करों को गिरफ्तार कर बरामद कर चुकी है।

यूएसनगर के एसएसपी दलीप सिंह कुंवर ने बताया कि पुलिस नशे के कारोबार के खिलाफ अभियान चला रही है। खासकर पर्वतीय क्षेत्रों से तस्करी के लिए लाई जा रही चरस पर पुलिस की नजर है। कोरोना काल में भी पुलिस ने कई तस्करों को गिरफ्तार कर उनके पास से 38 किलो से अधिक चरस बरामद की है। अभियान को और तेज किया जाएगा।

बरेली है तस्करी का केंद्र

उधमसिंहनगर में सप्लाई होने वाली नशे की खेप का केंद्र बरेली बना हुआ है। जहां पर पर्वतीय क्षेत्र और नेपाल के साथ ही पश्चिम बंगाल, पंजाब, हरियाणा और असम से भारी मात्रा में चरस, अफीम, गांजा, स्मैक, डोडा, अवैध शराब के साथ ही नशीली दवा और इंजेक्शन पहुंच रहे हैं। जो बरेली से उधमसिंहनगर पहुंच रहा है। यहां पर छोटे बड़े सप्लायर स्कूल, काॅलेज और गली मोहल्लों में किशोर ओर युवाओं को अपना शिकार बना रहे है।

अपराध की ओर कर रहे रुख

नशे की लत पूरी करने के लिए रुपये न होने पर युवा अपराध की ओर रुख कर रहे हैं। लूट, झपटमारी और चोरी जैसी वारदात को अंजाम दे रहे हैं। ऐसे में वे पुलिस के हत्थे तो चढ़ रहे हैं, लेकिन हालत देखकर पुलिस उन पर कार्रवाई से कतरा रही है। पूर्व में कई बार पुलिस चोरी, झपटमारी और लूट में नशेड़ी युवकों को हिरासत में ले चुकी है। हिरासत में कई की हालत भी बिगड़ चुकी है। इससे घबराई पुलिस उन्हें जेल भेज दिया जाए या फिर छोड़ दिया जाए, इस पर असमंजस में है। कारण हिरासत या फिर जेल में हालत बिगड़ने और मौत होने पर पुलिस पर आरोप लगने शुरू हो जाते हैं।


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