नैनीताल में दो फीसद और अल्मोड़ा सीट पर सवा पांच फीसद मतदान का ग्राफ गिरा, जानिए
मतदान को लेकर जी-जान से जुटा प्रशासनिक अमला लाख कोशिशों के बावजूद वोट प्रतिशत बढ़ा नहीं सका। चौंकाने वाले आंकड़े बताते हैं कि कुमाऊं में वोट की लहर धीमी पड़ गई।
हल्द्वानी, जेएनएन : मतदान को लेकर जी-जान से जुटा प्रशासनिक अमला लाख कोशिशों के बावजूद वोट प्रतिशत बढ़ा नहीं सका। चौंकाने वाले आंकड़े बताते हैं कि कुमाऊं में वोट की लहर धीमी पड़ गई। नैनीताल व अल्मोड़ा सीट पर मतदान बढऩे की बजाय पीछे खिसका गया। अल्मोड़ा सीट पर 5.16 व नैनीताल सीट पर 1.99 फीसद मतदान पिछले चुनाव की तुलना में कम हुआ। बूथ पर पहुंचने को लेकर मतदाताओं की बेरूखी ने राजनैतिक दलों का समीकरण उलझाने के साथ बैचेनी बढ़ा दी है।
चुनाव में ज्यादा से ज्यादा वोटिंग को लेकर निर्वाचन आयोग ने तरह-तरह के कार्यक्रम चलवाए। दिव्यांग व बुजुर्गों की सुविधा के लिए भी टीम बनाई गई। सरकारी जागरूकता कार्यक्रमों ने सड़क से लेकर नुक्कड़ तक दस्तक दी। उसके बावजूद कुमाऊं की दोनों सीटों पर वोटिंग बढऩे की अपेक्षा खिसक गई। नैनीताल सीट पर पिछले चुनाव में 68.38 प्रतिशत मतदान हुआ। जो इस बार घटकर 66.39 पहुंच गया। वहीं 2014 में अल्मोड़ा सीट पर पड़े 53.94 प्रतिशत वोट घटकर 48.78 के आंकड़े पर पहुंच गए। मतदान घटने की वजह से निर्वाचन आयोग व राजनैतिक दल तक असमंजस में है।
तीन चुनाव में दस-दस प्रतिशत वोट बढ़ा
पिछले आंकड़ों पर गौर करने पर पता चलता है कि नैनीताल सीट पर हर चुनाव दस प्रतिशत वोट बढ़ाता है। 2004 में 48.88, 2009 में 58.69 व 2014 में 68.38 प्रतिशत मतदान हुआ था। पर इस बार रिकॉर्ड आगे की जगह पीछे चला गया।
अल्मोड़ा ने 2014 में अर्धशतक पूरा किया था
पर्वतीय सीट कहे जाने वाली अल्मोड़ा लोकसभा ने पिछले चुनाव में पहली बार वोट प्रतिशत 50 से पार पहुंचाया था। इस बार मतदान बढऩे की उम्मीद थी। पर ऐसा नहीं हो सका। सवा पांच प्रतिशत गिरावट होने बड़ी बात है।
कुमाऊं के चार दिग्गज दो सीट पर आमने-सामने
नैनीताल लोकसभा सीट पर पूर्व सीएम हरीश रावत व भाजपा प्रदेश अजय भट्ट के बीच मुकाबला है। वहीं अल्मोड़ा की जंग भाजपा के अजय टम्टा (केंद्रीय राज्यमंत्री) व कांग्रेस से राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा के बीच है।
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