Move to Jagran APP

कॉरीडोर से भटककर आबादी में घुसे दो हाथियों ने दो लोगों को मार डाला, पढिए पूरी खबर

ऊधमसिंहनगर जिला इन दिनों हाथियों की दस्‍तक से दहशत में है। उनके हमले में दो लोगों जिनमें एक किसान व एक युवक शामिल है की मौत हो चुकी है तो दो लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 02 Jul 2019 12:26 PM (IST)Updated: Tue, 02 Jul 2019 12:26 PM (IST)
कॉरीडोर से भटककर आबादी में घुसे दो हाथियों ने दो लोगों को मार डाला, पढिए पूरी खबर
कॉरीडोर से भटककर आबादी में घुसे दो हाथियों ने दो लोगों को मार डाला, पढिए पूरी खबर

रुद्रपुर, जेएनएन : ऊधमसिंहनगर जिला इन दिनों हाथियों की दस्‍तक से दहशत में है। उनके हमले में दो लोगों जिनमें एक किसान व एक युवक शामिल है, की मौत हो चुकी है, तो दो लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। पहली घटना रविवार की है तो दूसरी घटना सोमवार की। इसको लेकर नगरवासियों में खौफ बना हुआ है। चलिए पहले घटना के बारे में जानते हैं।

loksabha election banner

रविवार सुबह जंगल से भटककर बिलासपुर के इंदरपुर पहुंचे दो हाथि‍यों ने लखविंदर को कुचल दिया। इससे वह घायल हो गया था। इस दौरान इंदरपुर में ही ठेली लगाने वाले को कुचल कर मार डाला। इसके बाद लोगों ने हाथी को वहां से खदेड़ा तो सोमवार सुबह दोनों हाथी रुद्रपुर के शांति विहार कॉलोनी पहुंच गए। जहां सुबह छह बजे के आसपास काॅलोनी के ही रहने वाले संजय भट्ट सुबह की सैर पर निकले थे। रास्ते में उन्हें हाथी दिखा तो वह सेल्फी लेने लगे। इस पर एक हाथी ने उन पर हमला कर जमीन पर पटक दिया। इससे वह लहुलूहान हो गए। यह देख आसपास से गुजर रहे लोगों ने शोर मचा दिया। शोर सुनकर आसपास के लोग एकत्र हुए और शोर मचाते हुए हाथियों को खेत में खदेड़ दिया। घायल संजय भटट को उपचार के लिए निजी अस्पताल पहुंचाया। जहां से उन्हें रेफर कर दिया गया था। वहीं सोमवार वहीं आधी रात 12 बजे के आसपास रामपुर रोड स्थित सोनिया होटल के पास पहुंचे हाथियों ने रम्पुरा निवासी 18 वर्षीय सूरज पुत्र रामसेवक को पटक दिया। अस्पताल ले जाने पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। वहीं मंगलवार सुबह पुलिस और वन कर्मियों ने आतंक का पर्याय बने हाथियों को बिलासपुर जंगल की ओर से खदेड़ा। 

कॉरिडोर से भटककर आबादी में पहुंचे हाथी, हो सकते हैं खतरनाक

अपने कॉरिडोर से भटके हाथी सात दिन के भीतर खटीमा से रुद्रपुर पहुंच गए। वन अधिकारियों की मानें तो रास्ता भटकने और कॉरिडोर तक का रास्ता न मिलने पर वह बेहद खतरनाक साबित हो सकते हैं। ऐसे में वन महकमा दोनों हाथियों पर नजर रखे हुए है। नेपाल के शुक्लाफांटा से भारत के हरिद्वार स्थित राजाजी नेशनल पार्क तक हाथियों का कॉरिडोर है। दोनों देशों के हाथी इसी कॉरिडोर के जरिए भारत और नेपाल में आते जाते रहते हैं। दोनों हाथी अपने कॉरिडोर से भटक चुके हैं। वन कर्मियों ने बताया कि 23 जून की देर रात नेपाल-भारत सीमा पर दो हाथियों का जोड़ा शारदा बांध को पार कर चारे की तलाश में खटीमा की सुरई रेंज के जंगल में घुस आया था। यहां से दोनों रास्ता भटककर यूपी के पीलीभीत के अमरिया पहुंच गए थे। वहां से 24 जून की रात यूपी के वनकर्मियों ने दोनों हाथियों को खदेड़कर उत्तराखंड-यूपी की सीमा के जंगलों में छोड़ दिया था। 25 जून को दोनों हाथी उत्तराखंड के सितारगंज, सरकड़ा में घुस गए थे। इसके बाद वह 30 जून यानी रविवार को यूपी, बिलासपुर के इंदरपुर गांव में पहुंच गए थे। बिलासपुर के पुलिस, वन कर्मियों और ग्रामीणों ने उन्हें खदेड़ा तो वह सोमवार तड़के रुद्रपुर के शांति विहार कालोनी पहुंच गए। वन अधिकारियों के मुताबिक अपने कॉरिडोर से भटके हाथी खतरनाक साबित हो सकते हैं। इसके लिए उन पर नजर रखी जा रही है। साथ ही उनके कॉरिडोर तक पहुंचाने के प्रयास भी चल रहे हैं। 

हाथी देखने उमड़े लोग, पुलिस ने लाठीचार्ज कर खदेड़ा

भदईपुरा के शांति विहार कालोनी में दो हाथियों की सूचना पर लोगों का मौके पर जमावड़ा लग गया। ऐसे में हाथी हमलावर न हो जाए, इसे देखते हुए पुलिस और वन कर्मियों को भीड़ को काबू करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। इसके लिए पुलिस ने लाठीचार्ज कर लोगों को दूर तक खदेड़ा। 

हाथी से कम लोगों से ज्यादा हुए परेशान

हाथी देखने के लिए लोगों की भीड़ जमा हो गई। ऐसे में हाथी उन पर हमला कर सकते थे, बावजूद इसके लोग हाथी के आसपास मंडराते रहे। लोगों की जान खतरे में देख पुलिस कर्मियों ने उन्हें समझाया लेकिन वह नहीं माने। मजबूर होकर हाथियों से दूर करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज कर लोगों को तितर बितर किया। इस दौरान पुलिस कर्मी हाथियों से कम लोगों से ज्यादा परेशान दिखाई दिए। 

फसल को हुआ नुकसान

शांति विहार कालोनी में खेतों में मक्का, धान के साथ ही अन्य फसल लगी हुई थी। हाथियों ने खेत में बोई फसल को कुचल दिया। इससे खेत स्वामियों के फसल को काफी नुकसान हुआ। 

जंगलों में इंसान, आबादी में जानवरों का दखल

जंगलों में इंसानी और आबादी में जानवरों का दखल संघर्ष का कारण बन रहा है। इससे इंसान और जानवर दोनों ही मारे जा रहे हैं। आंकड़ों पर नजर डाले तो संघर्ष में जहां आधा दर्जन से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, वहीं जंगल से भटककर आबादी में आए एक दर्जन से अधिक जानवर हादसों या फिर शिकारियों के चंगुल में फंसकर मर गए। बावजूद इसके वन महकमा इस पर अंकुश नहीं लगा पा रहा है। 

जंगल से सटा है जिले का अधिकतर हिस्‍सा 

ऊधमसिंहनगर का अधिकांश क्षेत्रफल जंगल से सटा हुआ है। जंगलों में बाघ, तेंदुआ, हिरन, हाथी, जंगली सुअर, जंगली गाय समेत तमाम जानवर है। अतिक्रमण कर जंगलों के करीब पहुंच चुके हैं। इससे जंगली जानवर अक्सर भटककर या फिर पानी की तलाश में आबादी की ओर रुख कर रहे हैं। इससे इंसान और जानवरों का संघर्ष हो रहा है। इसके चलते दोनों ही आपसी संघर्ष में मारे जा रहे हैं।

वन्‍यजीव हो रहे तस्‍करों का शिकार 

वन विभाग के आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2015 में तो टांडा जंगल में शिकारियों ने गोली मारकर दो हिरन का शिकार किया था। लेकिन वन कर्मियों से हुई मुठभेड़ के बाद वह मरे हुए हिरन छोड़कर फरार हो गए थे। यहीं नहीं दिनेशपुर के जंगल से सटे हुए ग्रामीण क्षेत्रों में जंगल किनारे बाइक के क्लच तार का फंदा बनाकर और खाद्य पदार्थ में बारूद मिलाकर जंगली जानवरों का शिकार किया जा रहा है। फलस्वरूप दो साल पहले जंगली जानवरों के लिए रखे गए खाद्य पदार्थ को गुर्जरों के पालतू गाय और भैंस ने खा लिया था। इससे हुए विस्फोट में वह घायल हो गए थे।

इस तरह से भी हो रही वन्‍यजीवों की मौत 

हल्दी पंतनगर में आबादी की ओर रुख करने के दौरान ट्रेन से कटकर और करंट लगने से जहां पांच हाथी मर गए थे, वहीं जंगली जानवरों को फंसाने के लिए लगाए गए बाइक के क्लच तार के फंदे में फंसकर जनवरी माह में नर तेंदुए की मौत हो गई थी। इसके अलावा पंतनगर, खटीमा और सितारगंज क्षेत्र में तो हाथियों के हमले में आधा दर्जन से अधिक लोगों की भी मौत हो चुकी है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.