एनएच के किनारे दो दर्जन निर्माण ढ़हाए, तीन घंटे चली कार्रवाई
यहां राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण की जद में आ रही करीब दो दर्जन दुकानों व भवनों को जेसीबी चलाकर गिरा दिया।
संवाद सूत्र, हल्दूचौड़ : यहां राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण की जद में आ रही करीब दो दर्जन दुकानों व भवनों को एनएचएआइ तथा कार्यदायी कंपनी के अधिकारियों की निगरानी में गुरुवार को जेसीबी से ध्वस्त कर दिया गया। इस दौरान मौके पर काफी संख्या में लोगों का मजमा लगा रहा। ध्वस्तीकरण कार्रवाई करीब तीन घंटे तक चली। इस दौरान पुलिस फोर्स की मौजूदगी के कारण कोई भी विरोध करने की हिम्मत नहीं जुटा सका।
एनएचएआइ के डिप्टी मैनेजर अक्षत विश्नोई तथा कार्यदायी संस्था सद्भाव कंपनी के सेक्शन इंचार्ज अभिमन्यु व समन्वय अधिकारी विनीत यादव के नेतृत्व में कंपनी के श्रमिक जेसीबी लेकर गुरुवार दोपहर एक बजे बेरीपड़ाव पहुंचे। इसके बाद उन्होंने सड़क किनारे चिह्नित अतिक्रमणों को ढहाने की कार्रवाई शुरू कर दी। इस दौरान चौकी इंचार्ज विमल मिश्रा के नेतृत्व में काफी संख्या में पुलिस फोर्स भी तैनात रही।
दोपहर एक बजे से शाम चार बजे तक चली इस कार्रवाई के दौरान फोर-लेन की जद में आ रहे करीब दो दर्जन दुकानों व भवनों तथा झोपड़ियों को जेसीबी से ढहा दिया गया। अतिक्रमण हटाने की यह कार्रवाई बेरीपड़ाव से मोटाहल्दू तक की गई। मोटाहल्दू में कुछ दुकानदारों तथा कार्यदायी संस्था सद्भाव कंपनी के अधिकारियों के बीच तीखी नोकझोंक हुई। वहां मौजूद पुलिस फोर्स ने लोगों का समझाकर स्थिति को संभाल लिया।
सद्भाव कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि एनएच के चौड़ीकरण की जद में आ रहे शेष भवनों व दुकानों को भी शीघ्र तोड़ा जाएगा। उनका कहना है कि मुआवजा लेने के बाद भी कई लोग सड़क किनारे चिह्नित अतिक्रमण को नहीं हटा रहे हैं। जिससे सड़क के चौड़ीकरण कार्य में विलंब हो रहा है। इधर एनएचएआइ के अधिकारियों का कहना है कि लालकुआं-बेरीपड़ाव क्षेत्र में करीब 130 ऐसे लोग हैं जो अपनी जमीन व भवन का मुआवजा ले चुके हैं लेकिन उसके बाद भी जमीन व भवन को खाली नहीं कर रहे हैं। इस कारण अतिक्रमण हटाने के लिए ध्वस्तीकरण की कार्रवाई अमल में लाई जा रही है। इस बीच प्रभावित लोगों का कहना है कि उन्हें किसी तरह का मुआवजा नहीं मिला है। उनकी दुकानें व भवन जबरन तोड़े जा रह हैं। उनका कहना है कि उन्होंने इस बारे में प्रशासन से भी शिकायत की है लेकिन उनकी गुहार कहीं भी नहीं सुनी जा रही है।