सालाें पुरानी लाइनों से सप्लाई, लीकेज से रोज बर्बाद हो रहा दो करोड़ लीटर पानी
हल्द्वानी में पेयजल व्यवस्था में करोड़ों का खर्च हर साल होने के बावजूद साल भर पानी की किल्लत बनी रहती है। इसकी बड़ी वजह पेयजल लाइनों में लीकेज भी है। लीकेज की वजह से हर दिन दो करोड़ लीटर पानी बर्बादी भी है।
हल्द्वानी, जेएनएन : हल्द्वानी में पेयजल व्यवस्था में करोड़ों का खर्च हर साल होने के बावजूद साल भर पानी की किल्लत बनी रहती है। इसकी बड़ी वजह पेयजल लाइनों में लीकेज भी है। लीकेज की वजह से हर दिन दो करोड़ लीटर पानी बर्बादी भी है। काफी पुरानी लाइनें होने की वजह से लीकेज की समस्या साल भर बनी रहती है। पानी की इस बर्बादी को रोकना विभाग के लिए भी चुनौती बनता जा रहा है।
जलसंस्थान के रिकार्ड के मुताबिक हल्द्वानी को पेयजल आपूर्ति सुचारू रखने के लिए रोजाना 80 एमएलडी पानी की जरूरत होती है। पेयजल की व्यवस्था के लिए जलसंस्थान गौला नदी और 67 नलकूपों पर निर्भर है। इसके अलावा सिंचाई के भी 191 नलकूपों से पानी लिया जाता है। जलसंस्थान को 30 एमएलडी पानी गौला और 35 एमएलडी पानी नलकूपों से मिलता है। इस हिसाब से 15 एमएलडी पानी यानि 1.5 करोड़ लीटर पानी जलसंस्थान को कम मिल रहा है।
दूसरी ओर नगर व इससे सटे ग्रामीण इलाकों की पेयजल व्यवस्था 40 साल पुरानी लाइनों पर टिकी है। काफी पुरानी लाइनें होने से सैकड़ों लीकेज लाइनों में हो रहे हैं। इनकी मरम्मत के लिए साल भर जलसंस्थान मजदूरों को लगाता है। एक क्षेत्र के लाइनों की मरम्मत करने पर दूसरे स्थानों की लाइनों में लीकेज हो जाते हैं। जलसंस्थान के अफसर भी मानते हैं कि रोजाना 10 से 15 फीसद पानी यानि दो करोड़ लीटर लीकेज की वजह से बर्बाद हो रहा है।
अमृत योजना से काफी कम हो जाएगी पानी की बर्बादी
जलसंस्थान के अधिशासी अभियंता विशाल कुमार ने बताया कि शहरी क्षेत्र में अमृत योजना के अंतर्गत नई पेयजल लाइनें बिछायी जा रही हैं। नई लाइनों के बिछने से शहर क्षेत्र में लीकेज की वजह से होने वाली पानी की बर्बादी काफी कम हो जाएगी। इसके साथ ही एडीबी व वल्र्ड बैंक भी पैरी अर्बन व ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल योजनाएं बनाकर लाइनें बिछा रहा है। शहर से लेकर गांव तक नई लाइनें बिछने के बाद पेयजल व्यवस्था में काफी सुधार आएगा।