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टस्‍कर हाथी को पहनाया जाना है रेडियो कॉलर, पर गन्ने व गुड़ के लालच में भी नहीं आ रहा हाइवे पर

वाहन चालकों व यात्रियों के लिए मुसीबत का सबसा बना टस्कर हाथी 25 दिन बाद भी पकड़ में नहीं आ सका है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 19 Jan 2020 10:23 AM (IST)Updated: Sun, 19 Jan 2020 10:23 AM (IST)
टस्‍कर हाथी को पहनाया जाना है रेडियो कॉलर, पर गन्ने व गुड़ के लालच में भी नहीं आ रहा हाइवे पर
टस्‍कर हाथी को पहनाया जाना है रेडियो कॉलर, पर गन्ने व गुड़ के लालच में भी नहीं आ रहा हाइवे पर

रामनगर, जेएनएन : वाहन चालकों व यात्रियों के लिए मुसीबत का सबसा बना टस्कर हाथी 25 दिन बाद भी पकड़ में नहीं आ सका है। विभागीय कर्मी उसे रेस्क्यू करने के लिए हाथियों का प्रिय आहार गन्ना व गुड़ का लालच भी दे रहे हैं। इसके बावजूद वह पकड़ में नहीं आ रहा है। इस बीच मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक उत्तराखंड राजीव भरतरी भी मौका मुआयना कर रेस्क्यू टीम को जरूरी  दिशा निर्देश दे गए।

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हाइवे पर दहशत का पर्याय बन चुका है हाथी

नेशनल हाईवे धनगढ़ी व उससे सटी अल्मोड़ा जनपद की सीमा पर टस्कर हाथी पिछले एक साल से दहशत का पर्याय बन चुका है। हाथी के हमले में पिछले दिनों एक शिक्षक की जान जा चुकी है। सीटीआर के निदेशक राहुल ने जनसुरक्षा के मद्देनजर टस्कर हाथी को रेडियो कॉलर लगाने का निर्णय लिया। कहा गया कि रेडियो कॉलर लगाने से वन विभाग को टस्कर की जंगल में मौजूदगी की जानकारी मिलती रहेगी। सड़क के नजदीक मिलने पर उसे जंगल को खदेड़ा जाएगा।

वनकर्मी रेडियो कॉलर पहनाने के लिए जुटे हैं रेस्‍क्‍यू में

बीती 25 दिसंबर से सीटीआर के पशु चिकित्सक दुष्यंत शर्मा वन विभाग की टीम के साथ टस्कर हाथी को रेडियो कॉलर पहनाने के लिए उसे रेस्क्यू करने का प्रयास कर रहे हैं। हाथी को ढूंढने के लिए विभागीय हाथियों की भी मदद ली जा रही है। हाथी को लालच देने के लिए सड़क से सटे जंगल में गन्ना व गुड़ भी रखा गया, लेकिन वह उस तक नहीं पहुंचा। पशु चिकित्सक दुष्यंत शर्मा ने बताया कि टस्कर अब तक नहीं दिखा है। उसे पूरी प्लानिंग से बेहोश कर रेडियो कॉलर पहनाया जाएगा।

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