कुमाऊं की दहलीज लालकुआं में पर्यटकों को झेलनी पड़ती है मुसीबत, जानिए क्या हैं दिक्कतें
कुमाऊं के प्रवेश द्वार लालकुआं में बस अड्डा पार्किंग और बाइपास न होने के कारण सड़क पर आड़े-तिरछे खड़े वाहन हर वक्त जाम की स्थिति पैदा करते हैं।
लालकुआं, जेएनएन : कहते हैं दहलीज की हालत पूरे घर की स्थिति बयां कर देती है, लेकिन कुमाऊं के प्रवेश द्वार यानी लालकुआं में बस अड्डा, पार्किंग और बाइपास नहीं होने के कारण सड़क पर आड़े-तिरछे खड़े वाहन हर वक्त जाम की स्थिति पैदा करते हैं। ऐसे में कुमाऊं भ्रमण पर आने वाले पर्यटकों को पहला दीदार जाम व अव्यवस्था से होता है।
लालकुआं नगर बिंदुखत्ता, बंगाली कॉलोनी, 25 एकड़ व सेंचुरी पेपर मिल समेत आसपास के तमाम क्षेत्रों के डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों का मुख्य बाजार है। गौला नदी के कारण लालकुआं में उत्तर भारत का प्रमुख ट्रांसपोर्ट नगर है तो नामी सेंचुरी पेपर मिल इसे एशिया में पहचान दिलाता है। इसके अलावा कुमाऊं का एकमात्र इंडियन आयल डिपो, दर्जनों स्टोन क्रशर, भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल की छावनी व बेसकीमती लकड़ी का अथाह भंडारण नगर के महत्व का और अधिक बड़ा देते है। देश के कोने-कोने से कुमाऊं में आने वाली वाली कई ट्रेनों का अंतिम पड़ाव भी लालकुआं ही है। यही नहीं नगर से कुछ किमी दूर पंतनगर एयरपोर्ट भी मौजूद है। ऐसे में यहां वाहनों का अधिक दबाव होना स्वाभाविक है, लेकिन बावजूद इसके यहां ट्रांसपोर्ट नगर, बस अड्डा, पार्किंग, बाईपास व शहर के सौंदर्यीकरण की बातें बेमानी है।
चुनाव में उठता है मुद्दा फिर ठंडे बस्ते में
शहर में ट्रांसपोर्ट नगर, बाइपास, पार्किंग बनाने का मुद्दा जिस बुलंदी से चुनावी सीजन में उठाया जाता है। उतनी ही तेजी से चुनाव के बाद ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। जमीन के फेर में उलझे इस ट्रांसपोर्ट नगर के लिए राज्य बनने के 19 साल बाद भी भूमि नहीं मिल सकी है। करोड़ों का कारोबार सड़क पर ही होता है। नतीजे आए दिन लगने वाले जाम के झाम से नगरवासी व राहगीर कराह उठते हैं। यहां पर बड़े वाहन तो दूर छोटे वाहनों के लिए भी पार्किंग की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में वाहनों को राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे खड़ा करने के अलावा कोई चारा नहीं है।
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