Mud Cottage in Nainital: पहाड़ पर पर्यटकों को लुभाएंगे मिट्टी के मकान, रोजगार संग होगा पर्यावरण संरक्षण
mud cottage in nainital पहाड़ पर पक्के मकान बनाने में काफी खर्चा व कठिनाई आती है। ऐसे में मिट्टी के मकान बनने से कम खर्चा के साथ ही पर्यावरण संरक्षण भी होगा। रामगढ़ मुक्तेश्वर समेत नैनीताल जिले के अन्य पर्वतीय क्षेत्रों में भी ऐसे मकान बनाए जाएंगे।
गणेश जोशी, हल्द्वानी। mud cottage in nainital पर्वतीय क्षेत्रों में अनियोजित तरीके से बढ़ते पर्यटन की वजह से पर्यावरण को नुकसान होने लगा है। ऐसे में अब नैनीताल डीएम धीराज सिंह गर्ब्याल ने मिट्टी के काटेज बनवाने की अभिनव पहल शुरू कर दी है।
पहले चरण में पायलट प्रोजेक्ट के तहत पांच गांव शामिल होंगे। इसमें इको फ्रेंडली मड बेस्ड स्ट्रक्चर तैयार होगा। यह काम जिला प्रशासन गीली मिट्टी फार्म (Geeli Mitti Farms) के सहयोग से करेगा।
हर मौसम के लिए उपयुक्त हैं ये घर
गीली मिट्टी फार्म की संस्थापक शगुन सिंह बताती हैं, मिट्टी के घरों को विशेष आर्किटेक्ट इस तरह से तैयार किया जाता है कि इस पर बारिश, गर्मी व बर्फ का कोई असर नहीं होता है।
यह पूरी तरह प्राकृतिक संसाधनों से निर्मित होते हैं और पर्यावरण के अनुकूल भी रहते हैं। इसमें धुआंरहित चूल्हा बनाया जाता है। एक घर बनाने में पांच लाख रुपये से अधिक का खर्चा आता है।
मुक्तेश्वर, रामगढ़ क्षेत्रों में बनेंगे घर
गीली मिट्टी संस्था (Geeli Mitti Farms) ने नैनीताल से 14 किलोमीटर दूर पंगोट के पास मेहरोड़ा गांव में ईट, सीमेंट, सरिये का इस्तेमाल किए बिना गीली मिट्टी से घर (mud cottage) बनाए हैं। वैसे यह संस्था कई राज्यों समेत अमेरिका समेत अन्य देशों में इस तरह के घर बनवा चुक है।
अब नैनीताल जिला प्रशासन के सहयोग से इस तरह के घर रामगढ़, मुक्तेश्वर समेत नैनीताल जिले के अन्य पर्वतीय क्षेत्रों में भी बनाए जाएंगे।
सामुदायिक पर्यटन को मिलेगा बढ़ेगा, मिलेगा स्वरोजगार
वैसे तो होमस्टे को लेकर कई सरकारी योजनाएं हैं, लेकिन अभी भी अधिकांश ग्रामीण इसका लाभ नहीं उठा पाते हैं। ग्रामीण व्यक्तिगत स्तर पर भी होम स्टे शुरू करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं।
ऐेसे में जरूरत है लोगों को उनके आसपास के संसाधनों से ही कम खर्चें में बेहतरीन काटेज बनाकर उपलब्ध कराया जाए।
इसके लिए जिला प्रशासन के स्तर से एक करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। इस पायलट प्रोजेक्ट के तहत गांवों में मिट्टी के घर बनाए जाएंगे। इन्हें सामुदायिक पर्यटन के रूप में विकसित किया जाएगा। इससे गांवों की आर्थिकी भी समृद्ध होगी और पलायन भी रूकेगा।
हार्टीकल्चर, फ्लोरीकलचर से भी जुड़ेगी योजना
डीएम ने बताया कि इको फ्रेंडली मड बेस्ड स्ट्रक्चर को बढ़ाने के लिए आगे हार्टीकल्चर, फ्लोरीकलचर के साथ भी जोड़ा जाएगा। इस तरह के घरों को तैयार करने के बाद ग्रामीणाें को जैविक खेती से भी जोड़ा जाएगा।
डीएम धीराज सिंह गर्ब्याल का कहना है कि पर्वतीय क्षेत्राें में अनियोजित पर्यटन विकास से पर्यावरण प्रभावित हो रहा है। अब हमें ऐसे पर्यटन विकास के माडल पर फोकस करना है, जिससे क्षेत्रीय जन समुदाय भी लाभान्वित हो सके और पर्यावरण भी सुरक्षित रह सके।
मिट्टी से घर बनाने की आधुनिक तकनीक भविष्य में उपयोगी साबित होगी। यह प्रयोग जिले में शुरू करवा दिया गया है।