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बाघ ने वीरेंद्र को निवाला नहीं बनाया, अचानक सामने आने पर किया हमला

बाघ ने वीरेंद्र पर हमला करने के बाद उसे निवाला नहीं बनाया, बल्कि अचानक सामने आने पर किया होगा हमला।

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Sep 2018 10:52 PM (IST)Updated: Tue, 18 Sep 2018 10:52 PM (IST)
बाघ ने वीरेंद्र को निवाला नहीं बनाया, अचानक  सामने आने पर किया हमला
बाघ ने वीरेंद्र को निवाला नहीं बनाया, अचानक सामने आने पर किया हमला

संवाद सहयोगी, रामनगर : बाघ ने वीरेंद्र पर हमला करने के बाद उसे निवाला नहीं बनाया, बल्कि उसे वहीं छोड़ गया। वन विभाग के जानकारों का मानना है कि जिस तरह से बाघ ने वीरेंद्र पर हमला किया और उसे मारकर वहीं छोड़ गया, इससे साफ है कि अचानक सामने आने पर बाघ हमलावर हुआ होगा। जहां पर घटना हुई है उस क्षेत्र में एक वाटरफाल भी बताया जा रहा है। लोगों का कहना है कि बाघ वहां पानी पीने आया होगा या फिर वह अपने बच्चे के साथ भी हो सकता है। इस दौरान उनका आमना-सामना हो गया और बाघ ने वीरेंद्र पर हमला कर दिया। यही वजह है कि जब ग्रामीण व परिजन वीरेंद्र को ढूंढने गए तो वहां बाघ की मौजूदगी का कोई अहसास वन कर्मियों को नहीं हुआ। शव की हालत देखकर बाघ द्वारा हमला किए जाने की पुष्टि हुई। बुधवार को वन विभाग घटनास्थल के आसपास हमलावर बाघ की तस्वीर कैद करने के लिए कैमरे लगाएगा, जिससे हमलावर के बाघ या बाघिन होने की पुष्टि हो सके। मौके पर कई लोगों के पहुंचने के कारण बाघ के पदचिह्न वन कर्मियों को नहीं मिले। ग्रामीणों का आक्रोश देख सहम गए वनाधिकारी

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रामनगर : बाघ के हमले में वीरेंद्र की मौत से भड़के ग्रामीणों के आक्रोश को देखते हुए वनाधिकारी भी तत्काल वन चौकी पहुंचने का साहस नहीं कर पाए। यही वजह रही कि वनाधिकारियोंको चौकी पहुंचने में तीन घंटे लग गए। घटना के बाद शाम को वन विभाग के रेंजर कुंदन खाती व पतरामपुर रेंजर महेश शर्मा ही मौके पर पहुंचे। काफी देर बाद एसडीओ मौके पर पहुंचे और पीड़ित परिवार को तीन लाख रुपये मुआवजा व परिवार के एक सदस्य को विभाग में नौकरी दिलाने का आश्वासन दिया, जिसके बाद ग्रामीण शांत हुए।

घटना के बाद ग्रामीण इस कदर आक्रोशित थे कि वह शव मालधन की वन चौकी ले गए और वहां से शव उठाने से साफ मना कर दिया। ग्रामीणों का कहना था कि जब तक वनाधिकारी नहीं पहुंचेंगे, तब तक वह शव चौकी से नहीं उठाएंगे। इस दौरान वह वन विभाग के खिलाफ नारेबाजी व प्रदर्शन करते रहे। आक्रोश भड़कता देख रात आठ बजे एसडीओ कलम सिंह दलबल के साथ मौके पर पहुंचे। इसके बाद ग्रामीणों ने उन्हें खूब खरी-खोटी सुनाई। उनका कहना था कि घटना को काफी समय बीत चुका है। लेकिन अधिकारी मामले को हल्के में ले रहे हैं। इस दौरान काफी हंगामा होता रहा। वनाधिकारियों ने ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि बाघ को पकड़ने के लिए मौके पर पिंजरा लगाने के अलावा मृतक के परिवार को तीन लाख रुपये मुआवजा दिया जाएगा। इसके अलावा परिवार के व्यक्ति को विभाग में नौकरी दी जाएगी। इसके बाद ग्रामीण शांत हुए और शव चौकी से ले गए।

90 हजार रुपये तत्काल मदद दिलाई जाएगी

एसडीओ कलम सिंह बिष्ट ने बताया कि मृतक परिवार को तात्कालिक मदद के तौर पर 90 हजार रुपये बुधवार को दिए जाएंगे। गांव के किनारे झाड़ियों का कटान कराया जाएगा। वहां सुरक्षा भी बढ़ा दी गई है।


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