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कमजोर होने के कारण हमलावर हो गया था दो श्रमिकों को अपना निवाला बनाने वाला बाघ

कॉर्बेट पार्क के ढिकाला में पकड़ा गया हमलावर बाघ उम्रदराज होने की वजह से वन कर्मियों को शिकार बनाने लगा था।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 17 Nov 2019 10:16 AM (IST)Updated: Sun, 17 Nov 2019 10:16 AM (IST)
कमजोर होने के कारण हमलावर हो गया था दो श्रमिकों को अपना निवाला बनाने वाला बाघ
कमजोर होने के कारण हमलावर हो गया था दो श्रमिकों को अपना निवाला बनाने वाला बाघ

रामनगर, जेएनएन : कॉर्बेट पार्क के ढिकाला में पकड़ा गया हमलावर बाघ उम्रदराज होने की वजह से वन कर्मियों को शिकार बनाने लगा था। उसे रानीबाग रेस्क्यू सेंटर शिफ्ट कर दिया गया। शनिवार को हुई बैठक में उसे पार्क से अन्यत्र भेजने का निर्णय लिया गया। हमलावर बाघ से निजात मिलने पर पार्क प्रशासन ने राहत की सांस ली है। वन्‍यजीव विशेषज्ञाें के मुताबिक बाघ बूढा होने पर शिकार न कर पाने की स्थिति में आदमखोर हो जाते हैं।

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दो वनकर्मियों को बाघ ने बनाया था अपना निवालस

कार्बेट पार्क के ढिकाला क्षेत्र में बाघ ने पिछले साल एक कर्मचारी को हमला कर मार डाला था। इसके बाद दो माह पूर्व भी एक वनकर्मी को गश्त के दौरान हमला कर मार डाला था। बाघ के हमलावर होने से गश्त कर रहे वनकर्मी भी काफी दहशत में थे। इतना ही नहीं, बाघ के घूमने से पार्क प्रशासन को पर्यटकों पर हमले का डर भी सता रहा था। ऐसे में पार्क प्रशासन ने सोमवार से बाघ को पकड़ने की कवायद शुरू कर दी थी। चार हाथियों से वनकर्मी बाघ की लोकेशन तलाश रहे थे। शुक्रवार को बाघ को पकड़ने में सफलता मिल गई।

घिस चुके हैं बाघ के दांत, पर्यटकों के लिए खतरा

शनिवार को बाघ का दोबारा परीक्षण किया गया। इसके बाद बाघ को जू भेजने को लेकर पार्क निदेशक राहुल, उपनिदेशक चन्द्रशेखर जोशी, कार्बेट के पशु चिकित्सक दुष्यंत शर्मा, नैनीताल जू के पशु चिकित्सक हिमांशु पांगती, भारतीय वन्य जीव संस्थान के चिकित्सक विभास पांडे, एनटीसीए के प्रतिनिधि की बैठक हुई। बताया गया कि बाघ के दांत घिसे होने व उम्रदराज होने की वजह से वह वन कर्मियों व पर्यटकों के लिए खतरा बना रहेगा। उसे कॉर्बेट में रखना घातक हो सकता है। शाम को उसे ढिकाला से नैनीताल जिले के अंतर्गत रानीबाग स्थित रेस्क्यू सेंटर भेजा गया। जहां उसका उपचार भी हो सके। पशु चिकित्सक शर्मा ने बताया कि बाघ को रानीबाग ले जाया गया है। उसे वहीं शिफ्ट कर दिया है।

सितंबर-अक्टूबर बाघों का मीटिंग सीजन

वन्यजीव विशेषज्ञों के मुताबिक सितंबर-अक्टूबर बाघों का मीटिंग सीजन होता है। इसके चलते अक्सर बाघ और बाघिन के जोड़े दिख जाते हैं। बाघिन का गर्भकाल तीन महीने का होता है। जनवरी फरवरी, मार्च में जब इनके बच्चे होते हैं उस समय भी बाघ और इंसानों के बीच संघर्ष की स्थिति पैदा हो जाती है। बच्चे होने पर बाघिन अपने शावकों को लेकर बाघ से दूर हो जाती है। 

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