रेस लगाने की होड़ में युवकों ने बाइक से खोया नियंत्रण, तीन की मौत; तीन की हालत गंभीर
बाइकों की तेज रफ्तार और लापरवाही से गुरुवार देर रात तीन घरों के चिराग बुझ गए। तीन अन्य की हालत गंभीर है।
रामनगर, जेएनएन : बाइकों की तेज रफ्तार और लापरवाही से गुरुवार देर रात तीन घरों के चिराग बुझ गए। तीन अन्य की हालत गंभीर है। दो बाइकों पर सवार किशोर समेत छह युवकों में एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में रेस लग गई। रामनगर के छोई गांव आते ही बाइक सड़क किनारे पैराफिट व पेड़ से टकरा गई। छात्र समेत दो की मौके पर ही मौत हो गई जबकि एक ने अस्पताल में दम तोड़ा। पुलिस ने शवों का पोस्टमार्टम कराया। बताया जा रहा है कि अपने एक साथी को देहरादून के लिए रामनगर छोडऩे आ रहे थे।
रामनगर-हल्द्वानी मार्ग पर देर रात एक बजे यह हादसा हुआ। थाना कालाढूंगी के अंतर्गत बैलपड़ाव निवासी यश (22) पुत्र महेंद्र प्रताप, ग्राम रतनपुर बैलपड़ाव निवासी नमन सुयाल (27) पुत्र राजेंद्र सुयाल, मोहित (16), पुत्र अंबादत्त भट्ट, गैबुआ निवासी गौरव कांडपाल (35) पुत्र कैलाश कांडपाल, आइआरबी बैलपड़ाव निवासी मनोज (24) पुत्र देव सिंह व मयंक (18) पुत्र जितेंद्र सिंह के साथ दो बाइकों से रामनगर आ रहे थे। बाइक को नमन व यश चला रहे थे।
लोगों की मानें तो दोनों बाइक सवार एक-दूसरे से रेस कर रहे थे। किशनपुर छोई के मोड़ पर पीछे चल रही बाइक पैराफिट से टकरा गई। आगे बाइक चला रहे युवक ने पीछे को देखा। इस दौरान सकी भी बाइक अनियंत्रित होकर पेड़ से टकरा गई। नमन व मोहित की मौके पर ही मौत हो गई। लोगों की सूचना पर सरकारी एंबुलेंस मौके पर पहुंची। इसके बाद मृतकों व घायलों को रामनगर संयुक्त चिकित्सालय लाया गया। हालत गंभीर होने पर यश, मयंक, मनोज व गौरव को हल्द्वानी एसटीएच रेफर कर दिया गया। यश ने हल्द्वानी में दम तोड़ दिया।
तेज रफ्तार के कारण मोड़ नहीं सके बाइक
जयपाल चौहान, एसएसआई कोतवाली रामनगर ने बताया कि तेज रफ्तार के साथ ही सड़क पर मोड़ नहीं कटना हादसे की वजह रहा है। दो युवकों की मौके पर ही मौत हो गई थी।
रफ्तार ऐसी कि पेड़ पर लटका मिला शव
बैलपड़ाव में रहने वाले छह दोस्तों पर जो गुजरी, उससे परिवार वाले ही नहीं वरन हर किसी की आंखें नम हैं। हादसे में एक घर का तो इकलौता चिराग ही बुझ गया। लोगों के मुताबिक रफ्तार का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दुर्घटना के बाद बाइक से छिटककर मोहित का शव झाड़ी के समीप एक पेड़ की आठ फीट ऊंची टहनी पर जाकर अटक गया। जब लोग मौके पर पहुंचे तो पांच ही मिले। इस पर एक युवक ने बताया कि वह छह लोग थे। इसके बाद आसपास देखा तो खून से लथपथ मोहित पेड़में अटका मिला। उसे नीचे उतारा तो तब तक उसकी सांस बंद हो चुकी थी। छह दोस्तों को डिनर के बाद ऐसी धुन सवार हुई कि वह रात के अंधेरे में ही रामनगर की ओर रेस करने निकल पड़ेे। पोस्टमार्टम हाउस के बाहर मृतकों के परिजनों के साथ आए लोगों ने बताया कि बाइक पर बैठने से पहले दोस्तों ने पटाखे भी फोड़े। इसके बाद वह फर्राटा भरकर रामनगर के लिए निकल पड़े। रामनगर कोतवाली के एसएसआई जयपाल चौहान ने बताया कि मामले की हर एंगल से जांच की जा रही है। युवकों के नशे में होने की संभावना भी हो सकती है।
रात भर इंतजार में रहे नमन के पिता
हादसे का शिकार हुआ नमन सुयाल बैलपड़ाव में स्थित ओम मोबाइल शॉप में काम करता था। पिता राजेंद्र सुयाल पेट्रोल पंप में काम करते हैं। बेटे को याद करके पिता राजेंद्र बार-बार सिसक रहे थे। उन्होंने बताया कि नमन को उन्होंने गुरुवार शाम छह बजे फोन करके कुछ सामान लाने के लिए घर आने को कहा था लेकिन बेटे ने अपने व्यस्त होने का हवाला दिया। इसके बाद रात को वह घर आ गया था। रात में खाना खाने के बाद 11 बजे वह दोस्तों के साथ चला गया। वह रात भर बेटे के घर आने का इंतजार करते रहे लेकिन उसकी मौत की खबर ने परिजनों को झकझोर कर रख दिया है। नमन तीन भाइयों में दूसरे का नंबर का था। बड़ा बेटा अल्मोड़ा में एक भर्ती में शामिल होने गया हुआ है। उसे भाई की मौत की खबर नहीं दी गई है।
मिस्टर दिल्ली था यश... जिम खोलना चाहता था
मृतक यश महता घर का इकलौता बेटा था। वह पूर्व में दिल्ली में एक कंपनी में नौकरी करता था। उसे बॉडी बिल्डिंग का शौक था। यही वजह थी कि उसने दिल्ली में शारीरिक सौष्टïव के कई आयोजनों में भाग लिया था और वह मिस्टर दिल्ली भी रह चुका था। नौकरी में मन नहीं लगने पर वह बैलपड़ाव में अपना जिम खोलना चाहता था। इसके लिए वह लाखों रुपये कीमत का जिम का सामान खरीदकर दिल्ली से घर पर ले आया था। वह जिम के शुभारंभ की तैयारी कर रहा था। इस बीच वह हादसे का शिकार हो गया।
खून से लाल हो रही रामनगर की सड़कें
क्षेत्र में साल दर साल बढ रही सडक दुर्घटनाएं चिंता का सबब बन रही है। यदि इस साल की बात करें तो रामनगर क्षेत्र में 25 से अधिक लोग सड़क हादसों में मारे जा चुके हैं। इस साल नवंबर में सबसे अधिक नौ लोग दुर्घटना में मारे गए। हादसे ओवर स्पीड, मोबाइल पर बात करते वाहन चलाने, सड़क जर्जर होने तथा नशे में वाहन चलाने की वजह से सामने आते हैं। वर्ष 2017 में भी 38 लोगों ने अपनी जान गंवाई। वहीं 2018 में भी मृतकोंं की संख्या कम नहीं थी। इस साल भी दुर्घटनाएं बढ़ी और 25 से अधिक लोगों की जान गई। नवंबर में एक बच्ची समेत दो लोगों की कार की टक्कर से मौत हुई थी। इसके बाद छोई में डंपर की टक्कर से छात्रा की मौत हो गई। इसके बाद बाइक सवार दो लोगों की मौत हो गई। इसके बाद एक बच्ची को स्कूल बस ने टक्कर मारकर मौत की नींद सुला दिया था। अब तीन लोग दुर्घटना में मारे गए हैं।
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