इस शरद पूर्णिमा बन रहा अद्भुत योग, भगवान श्री कृष्ण ने इसी रात रचाया था महारास, बनेगी विशेष खीर
शरद पूर्णिमा इस बार रविवार को नवम पंचम योग समेत कई अन्य विशिष्ट योगों में मनेगी। इसी दिन उत्तरा भाद्रपद व रेवती नक्षत्र होने से सर्वार्थ सिद्धि योग व रवियोग भी रहेंगे।
हल्द्वानी, जेएनएन : शरद पूर्णिमा इस बार रविवार को नवम पंचम योग समेत कई अन्य विशिष्ट योगों में मनेगी। इन योगों के चलते की गई पूजा-अर्चना व भूमि, भवन, वाहन, ज्वैलरी आदि की खरीदारी करना अत्यंत शुभ एवं समृद्धि कारक रहेगा। शहर में धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।
महादेव गिरि संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी के अनुसार 13 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा पर गुरु व चंद्रमा एक-दूसरे से नौवें व पांचवें स्थान पर होने से नवम पंचम योग बन रहा है। इसी दिन उत्तरा भाद्रपद व रेवती नक्षत्र होने से सर्वार्थ सिद्धि योग व रवियोग भी रहेंगे। मान्यता है कि इस दिन माता लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण होते हैं। पूर्णिमा तिथि का स्वामी भी स्वयं चंद्रमा है, इसलिए उसकी किरणों से इस रात अमृत की वर्षा होने की प्राचीन मान्यता भी है। भगवान श्रीकृष्ण का महारास शरद पूर्णिमा से ही प्रारंभ हुआ था। इसे ध्यान में रखकर ही लोग खीर बनाकर उसे खुले आसमां तले रखते हैं। ज्योतिषी डॉ. गोपाल दत्त त्रिपाठी का कहना है कि इस रात चंद्रमा की किरणों के शरीर पर पडऩे से विभिन्न बीमारियां ठीक होती हैं। खीर को भोग लगाकर उसका सेवन करना स्वास्थ्यवर्धक होता है।
स्कंद पुराण में कोजागरी की विधि
शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है। डॉ. नवीन चंद्र जोशी के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात महालक्ष्मी ऐरावत पर विराजमान होकर भ्रमण करती है और देखती है कि कौन जाग रहा है। स्कंद पुराण में शिव व नंदी के संवाद से कोजागरी व्रत का विधान कहा गया है। स्वास्थ्य व आरोग्य से जुड़े इस पर्व पर श्रीकृष्ण ने महारास किया, जिसमें शिव को भी आना पड़ा था। 13 अक्टूबर को निशिथ काल रात करीब 11:50 से 12:40 बजे तक रहेगा।
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