इस नवरात्र कन्या पूजन और भंडारे से दूरी बनाएं, पीएम और सीएम राहत कोष में करें दान
चैत्र नवरात्र की आज अष्टमी है। आस्था से जुड़े इस पर्व में कन्या खिलाने और भंडारा आयोजित करने की परंपरा रही है। लेकिन कोरोना के कारण इस बार कन्या पूजन व भंडारा न करें।
हल्द्वानी, जेएनएन : चैत्र नवरात्र की आज अष्टमी है। आस्था से जुड़े इस पर्व में कन्या खिलाने और भंडारा आयोजित करने की परंपरा रही है। कुछ लोग अष्टमी तो कुछ नवमी को कन्याओं का पूजन कर उन्हें भोजन कराते हैं। इस बार परिस्थितियां दूसरी हैं। वैश्विक महामारी बन चुका कोरोना वायरस संपूर्ण मानव समाज के लिए चुनौती बनकर सामने खड़ा है। ऐसे वक्त में ज्योतिषी, पुरोहितों और विद्वानों ने इस बार नवरात्र में कन्या पूजन से परहेज करने की अपील की है।
ज्योतिषाचार्य और श्री महादेव गिरी संस्कृत महाविद्यालय हल्द्वानी के प्राचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी का कहना है कि कोरोना वायरस समस्त विश्व के लिए गंभीर संकट बना हुआ है। सरकार, प्रशासनिक मशीनरी और तमाम सामाजिक संगठन ऐसे मुश्किल समय में हालात से लड़ने और जरूरतमंदों तक राहत पहुंचाने में पूरी शिद्दत से जुटी हुई है। ऐसे में हम सभी का कर्तव्य है कि हम लॉगडाउन का पूरी तरीके से पालन करते हुए अपने घरों में रहें। शारीरिक डिस्टेंस का पालन न करना सैकड़ों लोगों के लिए जान का खतरा बन सकता है। हमारी छोटी सी लापरवाही सरकार और हजारों लोगों के प्रयासों को विफल कर सकती है। आइए हम सब संकल्प लें कि संकट की इस घड़ी में किसी तरह की नादानी और लापरवाही नहीं करेंगे।
इस तरह करें व्रत का परायण
डॉ. नवीन चंद्र जोशी ने बताया कि शास्त्रों में देश काल और परिस्थिति अनुसार फैसले लेने का विधान बताया गया है। इस नवरात्र सभी देवी भक्त कन्या पूजन से दूरी बनाते हुए माता की तस्वीर को नौ रूपों का प्रतीक मानकर अपने व्रत का उद्यापन करें। भक्त वत्सला, करुणामई माता आपके भाव और आस्था से अवश्य प्रसन्न होंगी।
नर सेवा ही नारायण सेवा : परेश यति
वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी परेशयति महाराज ने समस्त भक्तों से इस बार कन्या पूजन और सामूहिक भोज से दूरी वर्जित रहने की अपील की है। कन्या पूजन व भंडारे में व्यय होने वाली धनराशि को संकट की घड़ी में प्रधानमंत्री राहत कोष में दान कर सकते हैं। दुख और संकट की घड़ी में मानव सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं है।शास्त्रों में नर सेवा ही नारायण सेवा बताया गया है।
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