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ठगों ने मेल हैक करने से की थी अपराध की शुरुआत, काशीपुर की ठगी के मामले में आया नया मोड़, जानिए क्या

नगर की आयोनेक्स केमिकल एंड इंजीनियरिंग फर्म के खाते से ठगों ने सिम री-इश्यू करवा कर 28 लाख रुपये उड़ा लिए थे। पुलिस ने मामला साइबर सेल को भेजा। साइबर सेल की रिपोर्ट आने के बाद सिम को री-इश्यू करवाकर ठगी किए जाने की बात सामने आई।

By Prashant MishraEdited By: Published: Wed, 28 Apr 2021 06:30 AM (IST)Updated: Wed, 28 Apr 2021 06:30 AM (IST)
ठगों ने मेल हैक करने से की थी अपराध की शुरुआत, काशीपुर की ठगी के मामले में आया नया मोड़, जानिए क्या
ठगी के पीछे पश्चिम बंगाल और मुंबई के ठगों का हाथ होने की पुष्टि हुई है

श्याम मिश्रा, काशीपुर। आयोनेक्स केमिकल फर्म के खाते से 28 लाख रुपये उड़ाने की शुरुआत साइबर ठगों ने फर्म की मेल आइडी हैक करने से की थी। पुलिस ने सिम री-इश्यू कराने की पहेली को सुलझा लिया है। संबंधित नेटवर्क प्रदाता कंपनी से मिली जानकारी से पता चला कि साइबर ठगों ने फर्म के मेल आइडी से मेल करके संचालक अनूप सिंह का सिम री-इश्यू करवाया गया। इसके बाद अपने सिम पर ओटीपी मंगवा कर ठगों ने 28 लाख रुपये फर्म के खाते से उड़ा लिए। ठगी के पीछे पश्चिम बंगाल और मुंबई के ठगों का हाथ होने की पुष्टि हुई है, अलबत्ता किसी का नाम सामने नहीं आया है।

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कंपनी की जी-मेल आइडी हैक कैसे की, इस बारे में जानकारी के लिए पुलिस ने संबंधित नेटवर्क प्रदाता कंपनी से और विस्तार से जानकारी मांगी है। 20 नवंबर 2020 को नगर की आयोनेक्स केमिकल एंड इंजीनियरिंग फर्म के खाते से ठगों ने सिम री-इश्यू करवा कर 28 लाख रुपये उड़ा लिए थे। पुलिस ने मामला साइबर सेल को भेजा। साइबर सेल की रिपोर्ट आने के बाद सिम को री-इश्यू करवाकर ठगी किए जाने की बात सामने आई।

10 खातों में डाला ठगी का पैसा

विवेचक एसआइ दीपक जोशी को पता चला कि ठगी का पैसा दस खातों में डाला गया और फिर बड़ी चालाकी से निकाल भी लिया गया। मामले की विवेचना करने के लिए बीते दिनों वह पश्चिम बंगाल गए थे। वहां उन्होंने खातों की पड़ताल की। जांच के दौरान पता चला कि रूमा दास, सुखदेव विश्वास, दिनेश, श्यामुलीदास समेत 10-12 लोगों के खाते में मोटी रकम डाली गई थी। पुलिस ने सभी संदिग्धों को ट्रेस किया और एक-एक करके पूछताछ की। जिन लोगों के खाते में पैसा डाला गया था, सभी बेहद गरीब और अशिक्षित निकले। कोई बीड़ी बनाता है तो कोई मजदूरी करता है। कुछ लोग रिक्शा चालक हैं। उन्हें पैसा खाते में आने की जानकारी तक नहीं है। सरकारी योजनाओं के नाम पर उनसे बैंक की पासबुक और एटीएम कार्ड ठगों ने ले लिया और फिर उनके खातों को ठगी का पैसा डालने के लिए इस्तेमाल किया।

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