Move to Jagran APP

पिछले चुनाव से ही बागेश्वर की सीवर लाइन बनती रही चुनावी मुद्दा

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बीते 2017 में सीवर लाइन की घोषणा भी की थी। बावजूद अभी तक योजना धरातल पर नहीं उतर सकी है। सीवर लाइन नहीं होने से नदियों में प्रदूषण बढ़ रहा है। जिससे नमामि गंगे योजना की परिकल्पना को झटका पहुंच रहा है।

By Prashant MishraEdited By: Published: Mon, 17 Jan 2022 09:21 PM (IST)Updated: Mon, 17 Jan 2022 09:21 PM (IST)
पिछले चुनाव से ही बागेश्वर की सीवर लाइन बनती रही चुनावी मुद्दा
2017 में सीवर निर्माण के लिए 70 करोड़ का प्रस्ताव भेजा गया था। अब इसकी लागत 50 करोड़ हो गई।

घनश्याम जोशी, बागेश्वर। नगर में सीवर लाइन एक बड़ा मुद्दा है। प्रत्येक चुनाव में यह घोषणा पत्र में शामिल रहता है। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बीते 2017 में सीवर लाइन की घोषणा भी की थी। बावजूद अभी तक योजना धरातल पर नहीं उतर सकी है। सीवर लाइन नहीं होने से नदियों में प्रदूषण बढ़ रहा है। जिससे नमामि गंगे योजना की परिकल्पना को झटका पहुंच रहा है।

loksabha election banner

नगर में गांवों से आकर लगातार लोग बस रहे हैं। भवन निर्माण भी मानकों के आधार पर नहीं हो रहे हैं।  50 हजार की आबादी को सीवरेज का इंतजार कर रही है। सीवरेज सिस्टम के लिए पर्याप्त पानी की दरकार होती है। सीवर परियोजना को मंजूरी मिलने में पानी की कमी भी बाधक है। 50 हजार आबादी वाले बागेश्वर नगर को 7.26 एमएलडी पानी की जरूरत है लेकिन  केवल 3.60 एमएलडी पानी मिलता है। यानी जरूरत का आधा पानी भी नहीं मिल पा रहा है।

भूमि का आवंटन हुआ पर विवाद

डीएम विनीत कुमार ने नगर में सीवर लाइन निर्माण के लिए भूमि का चिह्नीकरण करा नगर पालिका परिषद को 8200 वर्गमीटर भूमि हस्तांतरित कर दी है। कठायतबाड़ा क्षेत्र में 1400 वर्ग मीटर, तल्ला बिलौना क्षेत्र में 1400 वर्ग मीटर, मेहनरबूंगा में 900 वर्गमीटर इस प्रकार श्रेणी 10(4) की 3700 वर्ग मीटर की भूमि और श्रेणी 10 (1) की 4500 वर्गमीटर भूमि नगर पालिका को सीवर लाइन के निर्माण के लिए सशर्त हस्तांतरित की है।

तीन वर्ष फिर इंतजार 

आवंटित भूमि पर निर्माण करते समय वन संपदा को सुरक्षित रखने का दायित्व संबंधित विभाग का होगा। हस्तांतरित भूमि किसी अन्य प्रयोजन में उपयोग नहीं की जाएगी। यदि विभाग को हस्तांतरित भूमि तीन वर्ष तक निर्धारित परियोजना के लिए उपयोग में नहीं लाई जाती है तो वह स्वत: ही अपने मूल विभाग में निहित समझी जाएगी।

150 करोड़ रुपये की दरकार

पेयजल निगम के अनुसार वर्ष 2017 में सीवर लाइन निर्माण के लिए शासन को 70 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा गया था। यह रकम स्वीकृत नहीं हो पाई। अब इसकी लागत बढ़कर 150 करोड़ रुपये हो गई है। शासन को संशोधित स्टीमेट भेजा गया है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.