निजी डॉक्टरों की हड़ताल का मिला-जुला असर,सरकारी अस्पतालों में दिखा मरीजों का दबदबा
नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) बिल के विरोध में बुधवार को निजी अस्पतालों की ओपीडी पूरे दिन बंद रही।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) बिल के विरोध में बुधवार को निजी अस्पतालों की ओपीडी बंद रही। इमरजेंसी व भर्ती मरीजों को राहत देने से डॉक्टरों के विरोध का व्यापक असर नहीं दिखा। हालांकि इस हड़ताल से सरकारी अस्पतालों में मरीजों का दबाव अधिक रहा।
एनएससी बिल को लोकसभा में मंजूरी मिलने के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने ओपीडी बंद रखने का एलान किया था। इसके चलते बुधवार को शहर के प्राइवेट अस्पतालों में ओपीडी बंद रही। हालांकि भर्ती मरीजों का उपचार पहले की तरह चलता रहा। आपातकालीन मरीजों को भी देखा गया। वहीं, प्राइवेट अस्पताल में ओपीडी बंद होने से एसटीएच व बेस अस्पताल में भीड़ रही, जिसके चलते काफी देर तक मरीज अपने नंबर का इंतजार करते रहे। कोई व्हीलचेयर पर बैठा रहा तो कोई फर्श पर लेटा रहा। एसटीएच के एमएस डॉ. अरुण जोशी ने बताया कि मरीजों को किसी तरह की परेशानी नहीं होने दी गई। एसटीएच में 1510 मरीजों की ओपीडी हुई, जबकि बेस में 700 से अधिक मरीजों को देखा गया।
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झोलाछाप प्रैक्टिस को बढ़ावा देगा बिल : डॉक्टर
हल्द्वानी : आइएमए ने एनएमसी बिल का पुरजोर विरोध करते हुए बुधवार को बैठक की, जिसमें डॉक्टरों ने कहा कि एनएमसी बिल झोलाछाप प्रैक्टिस को बढ़ावा देता है। बिल के अस्तित्व में आने से मान्यता प्राप्त मेडिकल कॉलेज से पासआउट होने के बावजूद डॉक्टर प्रैक्टिस नहीं कर पाएंगे। प्राइवेट मेडिकल कॉलेज की 50 प्रतिशत सीट मैनेजमेंट कोटे से निर्धारित होगी। इससे मध्यम व आर्थिक रूप से कमजोर बच्चे एमबीबीएस नहीं कर पाएंगे। बैठक में आइएमए हल्द्वानी शाखा के अध्यक्ष डॉ. डीसी पंत, सचिव डॉ. प्रदीप पांडे, डॉ. अनिल अग्रवाल, डॉ. केसी शर्मा, डॉ. केसी लोहनी, डॉ. बीसी पांडे, डॉ. संजय जुयाल, डॉ. एसके अग्रवाल आदि मौजूद रहे।