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चार अरब रुपये से सुधरेगी सिंचाई व्यवस्था, एडीबी ने जमरानी परियोजना के अफसरों से मांगी रिपोर्ट

सिंचाई सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए एडीबी की ओर से फंडिंग की जाएगी। जमरानी परियोजना के तहत 400 करोड़ का बजट इसके लिए रखा गया है। इसलिए सिंचाई विभाग संग मिलकर जमरानी परियोजना के अधिकारी इन दिनों सर्वे में जुटे हैं।

By Prashant MishraEdited By: Published: Wed, 28 Jul 2021 06:32 AM (IST)Updated: Wed, 28 Jul 2021 06:32 AM (IST)
चार अरब रुपये से सुधरेगी सिंचाई व्यवस्था, एडीबी ने जमरानी परियोजना के अफसरों से मांगी रिपोर्ट
जीओ मैपिंग के जरिये नहरों व गूलों का पूरा नक्शा तैयार किया जाएगा।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी: बदहाल सिंचाई सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए एडीबी की ओर से फंडिंग की जाएगी। जमरानी परियोजना के तहत 400 करोड़ का बजट इसके लिए रखा गया है। इसलिए सिंचाई विभाग संग मिलकर जमरानी परियोजना के अधिकारी इन दिनों सर्वे में जुटे हैं। जीओ मैपिंग के जरिये नहरों व गूलों का पूरा नक्शा तैयार किया जाएगा। उसके बाद माडर्न तरीके से सिंचाई व्यवस्था का संचालन किया जाएगा।

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हल्द्वानी के गौलापार, लामाचौड़-कमलुवागांजा, बरेली रोड पर गोरापड़ाव से नीचे और रामपुर रोड पर देवलचौड़ से बेलबाबा तक के इलाके में बड़े पैमाने पर खेती की जाती है। सिंचाई के लिए गौला बैराज का पानी इस्तेमाल होता है। जो कि नहरों और फिर गूलों के जरिये खेतों तक पहुंचता है। लेकिन लंबे समय से ग्रामीण क्षेत्र में नहरों व गूलों की स्थिति को लेकर काश्तकारों में आक्रोश है। कई जगहों पर डिमांड के बावजूद बजट के अभाव में मरम्मत का काम पूरा नहीं किया जा सका। जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है। जमरानी परियोजना के अधिकारियों के मुताबिक बांध की डीपीआर में सिंचाई सिस्टम को अपडेट करने का प्रस्ताव भी शामिल है। जिसमें चार सौ करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसके लिए नहरों व गूलों की जीओ मैपिंग कर नक्शा तैयार किया जा रहा है। हालांकि, जमीनी स्थिति मालूम करने के लिए सिंचाई महकमे संग संयुक्त सर्वे किया जाएगा। ताकि पता चले कि किस-किस जगह पर मरम्मत व नवनिर्माण की जरूरत है।

ईई जमारानी बीबी पांंडे नेे बताया क‍ि सिंचाई व्यवस्था का आधुनिकीकरण किया जाएगा। जमरानी की डीपीआर में यह प्रस्ताव पहले से शामिल था। रिपोर्ट तैयार कर एडीबी को सौंपी जाएगी।

फसल चक्र भी पता किया जाएगा

हल्द्वानी में काश्तकार आमतौर पर गेहूं, धान, गन्ना, मक्का, टमाटर, प्याज आदि तैयार करते हैं। सर्वे के दौरान इस बात पर फोकस होगा कि किस इलाके में साल में कौन-कौन सी फसल लगाई जाती है। ताकि अनुमान लग सके कि उस क्षेत्र को कितना पानी सिंचाई के लिए देना है। वहीं, नहरों व गूलों के गेट को आटोमैटिक सिस्टम से जोड़ा जाएगा। यानी जरूरत के हिसाब से पानी मिलेगा। उसके बाद गेट बंद हो जाएंगे।


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