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नैनीताल में पारा रिकार्ड तोड़ने को तैयार, 15 साल का रिकार्ड धड़ाम

पर्यावरण के साथ खिलवाड़ का असर अब बढ़ते पारे रूप में नजर आने लगा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 29 Apr 2019 07:00 AM (IST)Updated: Mon, 29 Apr 2019 07:00 AM (IST)
नैनीताल में पारा रिकार्ड तोड़ने को तैयार, 15 साल का रिकार्ड धड़ाम
नैनीताल में पारा रिकार्ड तोड़ने को तैयार, 15 साल का रिकार्ड धड़ाम

नैनीताल (रमेश चंद्रा): पर्यावरण के साथ खिलवाड़ का असर अब बढ़ते पारे रूप में नजर आने लगा है। सरोवर नगरी में पिछले 15 सालों के अंतराल में दूसरी बार पारे का न्यूनतम स्तर अप्रैल में 19 डिग्री सेल्सियस पार कर गया है, जबकि अधिकतम तापमान 28 डिग्री सेल्सियस पहुंच चुका है। मौसम के जानकारों की मानें तो ग्लोबल वार्मिग को बढ़ावा देता वायु प्रदूषण पारा बढ़ने की प्रमुख वजह है।

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जीआइसी मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, पिछले 15 सालों के अंतराल में यह दूसरा मौका है, जब न्यूनतम तापमान 19 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। 2009 में भी न्यूनतम तापमान 28 अप्रैल को इस स्तर पर रिकार्ड किया गया था। हालांकि 2010 में यह 21 डिग्री सेल्सियस भी पार कर चुका है। अधिकतम पारा भी निरंतर परवान चढ़ रहा है। 15 सालों के आंकड़े बताते हैं कि अधिकतम तापमान 2008, 09 व 10 में छह बार 29 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया जा चुका है और इस बार भी 28 डिग्री सेल्सियस तक चढ़ चुका है। हालात ऐसे ही रहे तो इस माह के आखिरी दो दिन में पिछले सारे रिकार्ड टूटने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। एरीज के पर्यावरणीय वैज्ञानिक डॉ. नरेंद्र सिंह का कहना है कि बढ़ता वायु प्रदूषण ग्लोबल वार्मिग को बढ़ावा दे रहा है। तापमान में बढ़ोतरी की वजह भी यही है। शीतल नगरी भी अब ठंडी नही रही

शीतल जलवायु वाली सरोवर नगरी अब ठंडी नही रही। यहां रविवार का दिन खासा गर्म रहा। धूप से बचने के लिए लोग छांव में बैठे नजर आए। वहीं रेस्टोरेंट व होटलों में पंखे चलते नजर आए। हालांकि दिन में कई बार हल्के बादलों ने उपस्थिति दर्ज कराई, लेकिन गर्माहट का एहसास कम नहीं कर सकी। जीआइसी मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, आ‌र्द्रता अधिकतम 82 व न्यूनतम 62 प्रतिशत दर्ज की गई। मौसम पर नजर रखने को एसटी रडार तैयार

मौसम पर नजर रखने के लिए आर्यभटट् प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान द्वारा बनाया जा रहा एसटी रडार टेस्टिंग के आखिरी दौर से गुजर रहा है। टेस्टिंग समाप्त होते ही यह कार्य करना शुरू कर देगा। एरीज के वैज्ञानिक डॉ. नरेंद्र सिंह के अनुसार, यह रडार हिमालय की जलवायु को लेकर बेहद उपयोगी साबित होगा। आसमान में 20 किमी ऊंचाई तक मौसम की सटीक जानकारी देने में सक्षम होगा। अत्याधुनिक उपकरणों से निर्मित यह देश का तीसरा रडार होगा। संभवत: अगले माह से यह कार्य करना शुरू कर देगा।


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