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राजकीय पॉलीटेक्निक नैनीताल में स्‍टूडेंट तो है लेकिन टीचर नहीं

राजकीय पॉलीटेक्निक नैनीताल में शिक्षकों की कमी से तमाम ट्रेडों में अध्ययनरत छात्रों की तकनीकी शिक्षा मजाक बन गई है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 18 Jan 2019 12:40 PM (IST)Updated: Fri, 18 Jan 2019 08:21 PM (IST)
राजकीय पॉलीटेक्निक नैनीताल में स्‍टूडेंट तो है लेकिन टीचर नहीं
राजकीय पॉलीटेक्निक नैनीताल में स्‍टूडेंट तो है लेकिन टीचर नहीं

नैनीताल, जेएनएन : राजकीय पॉलीटेक्निक नैनीताल में शिक्षकों की कमी से तमाम ट्रेडों में अध्ययनरत छात्रों की तकनीकी शिक्षा राम भरोसे हो रही है। कुमाऊं के सबसे पुराने तकनीकी संस्थान की बदहाली से संस्थान के शिक्षक भी परेशान हैं। हाल ही में दस अतिथि शिक्षकों को हटाने के बाद और हालात खराब हो गए हैं।

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राजकीय पॉलीटेक्निक नैनीताल में सिविल इंजीनिरिंग, फार्मेसी, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रानिक, पीजीडीसीए, मॉडर्न ऑफिस मैनेजमेंट एंड सक्रेटियल प्रेक्टिस व आइटी ट्रेड संचालित हैं। पीजीडीसीए में 25 से कम, इलेक्ट्रानिक, इलेक्ट्रिकल में 60-60 जबकि अन्य ट्रेडों में 40 सीटें हैं। संस्थान में प्रधानाचार्य समेत शिक्षक-कर्मचारियों के 122 पद स्वीकृत हैं। मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव डॉ. ओमप्रकाश के पास तकनीकी शिक्षा का जिम्मा होने के बाद भी संस्थान में मात्र 42 स्टाफ है, जिसमें से 23 शिक्षण व सात ऑफिस स्टाफ तथा शेष चतुर्थ कर्मचारी हैं।

राज्य भर के विद्यार्थी अध्ययनरत

संस्थान में नैनीताल समेत पूरे राज्य के छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। तकनीकी क्षेत्र में बेहतर कॅरियर के लिए बच्चे दूर-दराज से यहां पढऩे के लिए आ रहे हैं, लेकिन शिक्षकों की कमी के कारण उनके सपनों में ग्रहण लग रहा है। प्रधानाचार्य एमके सिंह का कहना है कि स्टाफ की कमी के बारे में कई बार निदेशालय को रिपोर्ट भेजी जा चुकी है। उन्होंने माना कि शिक्षकों की कमी से पाठ्यक्रम संचालन में दिक्कत हो रही है।

भीमताल में 17 करोड़ रुपये से बनेगा केंद्रीय विद्यालय का भवन

भीमताल : नगर में 17 करोड़ रुपये की लागत से केंद्रीय विद्यालय भवन का निर्माण होगा। इसके लिए केंद्र सरकार ने भवन निर्माण की योजना को स्वीकृति प्रदान करते हुए प्रथम चरण में कार्य को शुरू करने के लिए 20 लाख रुपये अवमुक्त कर दिए हैं। केंद्रीय विद्यालय भवन निर्माण की मांग लंबे समय से चल रही थी। अभी तक विद्यालय जिला पंचायत के भवन में लीज पर चल रहा था। जिसका किराया भी केंद्रीय विद्यालय भी नहीं दे पा रहा था। वहीं भवन में कक्षों की संख्या कम होने के कारण इसकी अधिकांश कक्षाएं टिन शेड में संचालित थी। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अभिभावकों की मांग पर आज से दस वर्ष पूर्व प्रदेश सरकार ने विद्यालय भवन के निर्माण के लिए नौकुचियाताल मार्ग में 49 नाली भूमि विद्यालय के नाम हस्तांतरित कर दी। प्रदेश सरकार के द्वारा भूमि मिलने पर केंद्र सरकार ने भवन निर्माण की सारी बाधाओं को दूर करते हुए 17 करोड़ रुपये की धनराशि को स्वीकृति प्रदान करते हुए प्रथम चरण को भी शुरू करने की अनुमति दे दी। राजस्व विभाग के राजस्व निरीक्षण राधे राणा, रेवाधर आदि ने भूमि की पैमाइश कर विद्यालय प्रबंधन को सौंप दिया। इधर केंद्रीय विद्यालय भवन की स्वीकृति मिलते ही क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता, जनप्रतिनिधियों और जागरूक प्रतिनिधियों ने बैठक कर प्रदेश और भारत सरकार का आभार जताया। इस मौके पर भाजपा नेता दिनेश सांगुड़ी, प्रधानाचार्य पूनम पांडे, रामपाल सिंह गंगोला, पूरन वृजवासी आदि मौजूद थे।

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