प्रश्नपत्र तैयार करने के बदले शिक्षकों को नहीं मिल रहा पारिश्रमिक NAINITAL NEWS
डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों से परीक्षा से ठीक पहले पेपर तो तैयार कराए जा रहे हैं मगर इसके एवज में उनका भुगतान नहीं हो पा रहा है जिससे शिक्षकों में खासी नाराजगी है।
हल्द्वानी, भानु जोशी : डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों से परीक्षा से ठीक पहले पेपर तो तैयार कराए जा रहे हैं, मगर इसके एवज में उनका भुगतान नहीं हो पा रहा है, जिससे शिक्षकों में खासी नाराजगी है। कुमाऊं विश्वविद्यालय की इस अनदेखी के चलते अब शिक्षक प्रश्नपत्र बनाने में भी दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं।
कुमाऊं विश्वविद्यालय की ओर से डिग्री कॉलेजों में साल भर होने वाली मुख्य सेमेस्टर परीक्षा, बैक परीक्षा, सुधार परीक्षा आदि के लिए प्रश्नपत्र तैयार कराए जाते हैं। स्नातक व स्नातकोत्तर के विषयवार प्रश्नपत्र डिग्री कॉलेजों के शिक्षक बनाते हैं, जिसके बदले उन्हें निर्धारित पारिश्रमिक का भुगतान किया जाना होता है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से शिक्षकों को या तो पारिश्रमिक का भुगतान हुआ ही नहीं है या फिर नियमित तौर पर नहीं मिल पा रहा है। एमबीपीजी कॉलेज के ऐसे करीब एक दर्जन से अधिक शिक्षक हैं, जिन्हें पिछली बार का भुगतान तक नहीं किया जा सका है। इन शिक्षकों में विवि के प्रति खासी नाराजगी है। शिक्षकों ने बताया कि विवि को भेजे जाने वाले बिल न जाने कहां गायब हो जाते हैं। ऐसे में कई शिक्षकों ने प्रश्नपत्र तैयार करने से ही हाथ खड़े कर दिए हैं।
21 साल की नौकरी, दो बार मिला पैसा
डिग्री कॉलेजों में ऐसे भी शिक्षक हैं जिनकी नौकरी को 20-21 साल पूरे हो चुके हैं। इन शिक्षकों का कहना है कि इतनी लंबी नौकरी के दौरान हर बार प्रश्नपत्र बनवाए गए, मगर उनके ऐवज में भुगतान केवल एक या दो बार ही किया गया।
यूओयू से भी कम पारिश्रमिक
एमबीपीजी कॉलेज के शिक्षकों की मानें तो कई दशकों से प्रश्नपत्र तैयार कराने के बदले दिया जाने वाला पारिश्रमिक नहीं बढ़ाया गया है। स्नातक का प्रश्नपत्र तैयार करने के बदले 300 तो स्नातकोत्तर का प्रश्नपत्र तैयार करने के बदले 600 रुपये दिए जाते हैं, जबकि उत्तराखंड मुक्त विवि में स्नातकोत्तर का प्रश्नपत्र तैयार करने के बदले 900 रुपये मिलते हैं।
विवि काे शिक्षकों के बिलों का संज्ञान लेना चाहिए
डॉ. विनय विद्यालंकार, एमबीपीजी कॉलेज हल्द्वानी ने बताया कि प्रश्नपत्र तैयार करने के बदले लंबे समय से भुगतान नहीं हो पा रहा है। विवि को शिक्षकों के बिलों का संज्ञान समय पर लेना चाहिए।