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कभी एशिया का सबसे बड़ा टीबी हाॅस्पिटल रहा सेनिटोरियम अब टूटने के कगार पर

एक समय एशिया में पहला स्थान रखने वाला टीबी हाॅस्पिटल सेनिटोरियम सरकारों की देख रेख के अभाव में बदहाली की कगार पर है। देखरेख के अभाव में अस्पताल की इमारतें दिन प्रतिदिन जर्जर होती जा रही हैं। जबकि कई इमारतें तो खण्डर हो चुकी हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 24 Oct 2020 03:26 PM (IST)Updated: Sat, 24 Oct 2020 03:26 PM (IST)
कभी एशिया का सबसे बड़ा टीबी हाॅस्पिटल रहा सेनिटोरियम अब टूटने के कगार पर
कभी एशिया का सबसे बड़ा टीबी हाॅस्पिटल रहा सेनिटोरियम अब टूटने के कगार पर

भवाली, जेएनएन : एक समय एशिया में पहला स्थान रखने वाला टीबी हाॅस्पिटल सेनिटोरियम सरकारों की देख रेख के अभाव में बदहाली की कगार पर है। देखरेख के अभाव में अस्पताल की इमारतें दिन प्रतिदिन जर्जर होती जा रही हैं। जबकि कई इमारतें तो खण्डर हो चुकी हैं। अस्पताल के लिए जाने वाली सड़क पूरी तरह क्षतिग्रस्त है। सड़क पर जगह-जगह बड़े=बड़े गड्ढे पढ़े हुए हैं। अस्पताल में मरीजों के लिए बेडों की संख्या भी कम होती जा रही है। कई स्टॉफ क्वाटर भी जर्जर अवस्था है।

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टीवी हॉस्पिटल सेनिटोरियम की स्थापना सन 1912 में ब्रिटिश काल में हुई। यह समुद्र सतह से 6000 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। यहां की जलवायु स्विजरलैंड के समतुल्य मानी जाती है। जो टीवी के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद है। यहां चीड़, बांज, देवदार, बुरांश आदि के वृक्ष स्थित हैं। बांज और चीड़ के पेड़ों की हवा को टीबी के मरीजों के लिए बहुत ही लाभकारी माना जात है। यह भी एक तरह से प्राकृतिक चिकित्सा होती है।

इसकी स्थापना सन 1912 में संयुक्त प्रान्त उत्तरप्रदेश के आगरा एवं अवध के लोगों ने किंग एडवर्ड सप्तम की स्मृति में की। यह लैंड रामपुर नवाब हामिद अली खां की हुआ करती थी। अंग्रेजों के अनुरोध पर रामपुर नवाब ने 225 एकड़ भूमि सेनिटोरियम बनाने के लिए दी। रामपुर नवाब की कोठी वर्तमान में भी यहां मौजूद है। जो एक खण्डर का रूप ले चुकी है। तब सेनिटोरियम का नाम किंग एडवर्ड सप्तम सेनिटोरियम रखा गया था।

इस हॉस्पिटल का उद्देश्य उस समय व्यापक रूप से फैल रही टीबी की को बेहतर चिकित्सा से रोकना था। इस हॉस्पिटल में टीवी के मरीजों को लंबे समय तक रखकर स्वस्थ किया जाता था। क्योंकि इसकी जलवायु व वातावरण मरीजों के लिए उपयुक्त थी। यहां मरीजों को संतुलित व पौष्टिक आहार के साथ चिकित्सकों की उपयुक्त सलाह दी जाती थी। और उन्हें क्रमिक व्यायाम व उनकी दिनचर्या भी तय की जाती थी। जिससे रोगी मानसिक तनाव से मुक्त रह सकें।

सेनिटोरियम टीबी हॉस्पिटल में कमला नेहरू, सर कैलाश नाथ काटजू, महान साहित्यकार यशपाल, उत्तरप्रदेश के तत्कालीन मुख्य मंत्री सम्पूर्णानन्द की पत्नी, शौकत अली बंधु, उन्नाव के क्रांतिकारी गया प्रसाद शुक्ला, नैनीताल के एमएल सी बिहारीलाल समेत कई विशिष्ट रोगी भर्ती रहे। वहीं कमला नेहरू यहां 10 मार्च 1935 से 15 मई 1935 तक भर्ती रही। इस दौरान पंडित नेहरू 15 मार्च, 1 अप्रैल, 5 अप्रैल, 1 मई व 14 मई को उनसे मिलने सेनिटोरियम आए थे।

सन 1912 में टीवी हॉस्पिटल सेनिटोरियम को 378 बैडों से शुरू किया गया। सेनिटोरियम में 11 डॉक्टरों, 274 कर्मचारियों के पद स्वीकृत हैं। वहीं वर्तमान में 72 बेड, चार चिकित्सक, 141 कर्मचारी हैं। जिनमें से 141 कर्मचारी ही कार्यरत हैं। टीबी अस्पताल में निरंतर बजट के अभाव में अस्पताल बदहाल होता गया। बजट के अभाव में इमारतों का रखरखाव नहीं हो पाया। जिससे वह जीर्ण शीर्ण होती गई। अन्य मेंटीनेंस का काम नहीं हुआ। आलम यह है कि अस्पताल 378 से 72 बेडों में सिमट गया है। स्टाफ में संख्या कम हो गई। कई बार मरीजों का नाश्ता तक बन्द करने नौबत आई। लाखो टीबी के मरीजों को ठीक करने वाला अस्पताल खुद वर्षों से बीमार है।


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