पर्यटकों को लुभा रहा गेठी, पिनालू व भट का स्वाद, विलेज टूरिज्म को मिल रहा नया आयाम
कोरोना के चलते हुए लाकडाउन से पर्यटन व्यवसाय पूरी तरह चरमरा गया। लाकडाउन हटने के बाद जैसे-जैसे कोरोना कम होने लगा है पर्यटन की उम्मीद बढ़ने लगी है। आठ महीने से घरों में कैद रहने वाले महानगरों के लोग अब विलेज टूरिज्म को पसंद कर रहे हैं।
हल्द्वानी, जेएनएन: कोरोना के चलते हुए लाकडाउन से पर्यटन व्यवसाय पूरी तरह चरमरा गया। लाकडाउन हटने के बाद जैसे-जैसे कोरोना कम होने लगा है, पर्यटन की उम्मीद बढ़ने लगी है। आठ महीने से घरों में कैद रहने वाले महानगरों के लोग अब विलेज टूरिज्म को पसंद कर रहे हैं। ऐसे में इन पर्यटकों को लुभाने के लिए विशुद्ध तरीके से तैयार किए गए परंपरागत व्यंजनों को माध्यम बनाया जाने लगा है। नैनीताल, भीमताल, नौकुचियाताल, रामगढ़, मुक्तेश्वर समेत आसपास क्षेत्रों में विलेज टूरिज्म को लेकर बड़ा व्यवसाय तैयार हो चुका है। किसी ने घर को ही तैयार किया है तो किसी ने अपनी जमीन में विलेज टूरिज्म के लिए हट बनाए हैं।
नौकुचियाताल कैंप हाइड आउट के संचालक मदन पांडे बताते हैं, इस समय पर्यटकों को गांव का जैसा माहौल चाहिए। जहां परंपरागत तरीके से कुछ पल सुकून से गुजारने का सुनहरा अवसर मिल सके। इसलिए लोग भी इसी तरह का पर्यटक स्थल तैयार करने लगे हैं। यही नहीं, कोरोनाकाल के बाद जब पर्यटक प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर इन जगहों पर आने लगे हैं, तो भोजन भी परंपरागत ही उपलब्ध कराने की डिमांड करने लगे हैं। इसमें गेठी, पिनालू, गडेरी, भांग की चटनी, भट की चुरकानी व दाल आदि शामिल है।
राख में भूनकर गेठी व पिनालू खाने का मजा ही कुछ और
मदन पांडे बताते हैं, वैसे तो पिनालू व गेठी को पानी में उबालकार तैयार किया जाता है। इसके आलू की तरह के गुटके बनाए जाते हैं। इसे हरी चटनी या फिर भांग के नमक के साथ खाने का मजा ही कुछ और है। वरिष्ठ आयुर्वेद विशेषज्ञ डा. एनके मेहता बताते हैं कि यह केवल स्वाद में ही अच्छा नहीं, बल्कि पौष्टिक भी होता है। प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है।
ठंड के मौसम में धूप में बैठकर सना नींबू का स्वाद
सर्दी में दोपहर में धूप में बैठकर सना नींबू खाना पहाड़ के जीवन का हिस्सा है। विटामिन सी से भरपूर नींबू को खिलाने के लिए रिसार्ट संचालकों ने विशेष तैयारियां की है।