Eating Disorder : ईटिंग डिसआर्डर के तेजी से बढ़े मामले, जानिए क्या है लक्षण और कारण
Eating Disorder ईटिंग डिसआर्डर से ग्रस्त व्यक्ति व्यक्ति या तो कम खाता है या फिर ज्यादा खाने लगता है। यानी कि भ्रम की स्थिति में रहता है। मनोचिकित्सक ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : Eating Disorder : ईटिंग डिसआर्डर एक तरह का मानसिक विकार है। इस तरह की मनोस्थिति में व्यक्ति या तो कम खाता है या फिर ज्यादा खाने लगता है। यानी कि भ्रम की स्थिति में रहता है। इसकी वजह से जहां व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान होने लगता है। दैनिक गतिविधियां प्रभावित होने लगती हैं, वहीं कई तरह की शारीरिक समस्याएं भी उभरने लगती हैं। मानसिक रोग क्लीनिक में इस तरह के मामले बढ़ने लगे हैं। मनोचिकित्सकों का कहना है कि समय पर सही उपचार से इस समस्या से निजात पाई जा सकती है।
केस एक
30 वर्षीय युवती मनोचिकित्सक के पास पहुंची। कुछ भी खाती हैं तो उसे लगता है कि वह मोटी हो जाएंगी। यह समस्या इतनी बढ़ गई है कि उसके दैनिक कार्य ही प्रभावित होने लगे हैं। कमजोरी बढ़ गई है। अब उसका इलाज चल चल रहा है।
केस दो
रामपुर रोड निवासी 17 वर्षीय युवक मनेाविज्ञानी के पास पहुंचा। उसे हर समय खाने की आदत है। उसे लगता है कि उसका पेट ही नहीं भरा। जरूरत से ज्यादा खाने की आदत ने उसे परेशान कर दिया है। पाचन भी गड़बड़ा गया है।
सामान्य रूप से तीन तरह का है ईटिंग डिसआर्डर
स्पर्श न्यूरो साइक्रट्रिक सेंटर के मनोचिकित्सक डा. रवि सिंह भैंसोड़ा ने बताया कि ईटिंग डिसआर्डर कई तरह के होते हैं। जिनमें से तीन प्रमुख हैं।
- एनोरेक्सिया नर्वाेसा में व्यक्ति खुद को भूखा रखने लगता है। भूख लगने पर भी नहीं खाता है। उसे कम से कम खाने का जुनून सवार हो जाता है। यही स्थिति मानसिक समस्या का कारण बन जाता है। व्यक्ति को भ्रम रहता है कि वह मोटा हो सकता है।
- दूसरा है बुलिमिया नर्वोसा, इसमें व्यक्ति जरूरत से ज्यादा खाने लगता है। इसके बाद उल्टी करने लगता है। जरूरत से ज्यादा व्यायाम या फिर फास्टिंग करने लगता है। इससे उसकी दिनचर्या प्रभावित होने लगती है।
- तीसरा है बिंज ईटिंग डिसआर्डर, इसमें बुलिमिया की तरह ही अधिक भोजन करने के लक्ष्ण मिलते हैं, लेकिन बाद में दूसरे तरह के व्यवहार नहीं होते हैं।इस तरह की मनोस्थिति में व्यक्ति खुद पर गुस्सा करता है या फिर उसे खुद पर शर्म आने लगती है।
क्या कहते हैं मनोचिकित्सक
मनोचिकत्सक डा. रवि सिंह भैंसोड़ा बताते हैं कि पहले की अपेक्षा अब ईटिंग डिसआर्डर के मामले ज्यादे सामने आ रहे हैं। इसमें साइकोथेरेपी की जरूरत रहती है। कई बार दवाइयां भी दी जाती हैं। काउंसलिंग की की जाती है। मनोवज्ञानी डा. मेघना परवाल का कहना है कि भोजन की सही आदत होनी चाहिए। पौष्टिक भोजन पर जोर देना जरूरी है। नियमित व्यायाम, ध्यान भी आवश्यक है। अगर समस्या दिनचर्या को ही प्रभावित करने लगे तो काउंसलिंग करा लेनी चाहिए।

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